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उस तलवारबाज की समझ के बाहर हो गई बात। उसने होश खो दिया। कहानी कहती है कि उसने गांव में खबर की कि किसी के पास कोई जानदार बिल्ली हो, तो ले आओ। और दूसरे दिन गांव में जो बड़े से बड़ा धनपति था, उसने अपनी बिल्ली भेजी। वह कई चूहों को मार चुकी थी। लेकिन तलवारबाज डरा हुआ था। और जिस धनपति ने अपनी बिल्ली भेजी थी, वह भी डरा हुआ था। क्योंकि जब तलवारबाज की तलवार टूट गई हो, तो बिल्ली कहां तक सफल होगी, यह भय है। और बिल्ली को भी खबर मिल गई थी। और तलवारबाज बहुत बड़ा था। बिल्ली ने बहुत चूहे मारे थे, लेकिन इस चूहे से आतंकित हो गई थी। रात भर सो न पाई। सुबह जब चली, तो पूरी तैयारी से चली। रास्ते में पच्चीस योजनाएं बनाईं। कभी-कभी उसके मन को भी हुआ, मैं यह क्या कर रही हूं! चूहे तो मुझे देखते ही भाग जाते हैं। मैं योजना कर रही हूं! लेकिन योजना कर लेनी उचित थी। चूहा असाधारण मालूम होता था।
बिल्ली दरवाजे पर आई। एक क्षण उसने भीतर देखा, चूहे को देख कर कंप गई। चूहा बैठा था। तलवार टुकड़े-टुकड़े पड़ोस में पड़ी थी। इसके पहले कि बिल्ली आगे बढ़े, चूहा आगे बढ़ा। बिल्ली ने बहुत चूहे देखे थे। लेकिन कोई चूहा बिल्ली को देख कर आगे बढ़ेगा! बिल्ली एकदम बाहर हो गई।
तलवारबाज की हिम्मत बिलकुल टूट गई कि अब क्या होगा! सम्राट को खबर की गई कि आपके राजमहल की बिल्ली भेज दी जाए, अब कोई और उपाय नहीं है। सम्राट के पास जो बिल्ली थी, वह निश्चित ही देश की श्रेष्ठतम, कुशल बिल्ली थी। लेकिन वही हुआ जो होना था। सम्राट की बिल्ली ने चलते वक्त सम्राट से कहा, आपको शर्म आनी चाहिए, ऐसे छोटे-मोटे चूहों को मारने को मुझे भेजते हैं। मैं कोई साधारण बिल्ली नहीं हूँ!
लेकिन यह भी उसने अपनी रक्षा के लिए कहा था। खबरें पहुंच गई थीं कि चूहा आगे बढ़ा, कि बिल्ली वापस लौट गई, कि तलवार टूट गई, कि योद्धा हार गया है, कि चूहे का आतंक पूरे गांव पर छाया हुआ है, चूहा साधारण नहीं है। लेकिन बचाव के लिए उसने राजा से कहा कि इस साधारण से चूहे के लिए मुझे भेजते हैं! सम्राट ने कहा, चूहा साधारण नहीं है। और आतंकित मैं भी हूं कि तू लौट तो न आएगी!
जो होना था, वही हुआ। बिल्ली गई। उसने जोर से झपट्टा मारा। लेकिन चूक गई। दीवार से उसका मुंह टकराया, लहूलुहान होकर वापस लौट गई। चूहा अपनी जगह था।
गांव में एक फकीर के पास और एक बिल्ली थी। इस सम्राट की बिल्ली ने ही कहा कि अब और कुछ रास्ता नहीं है, सिर्फ उस फकीर के पास एक बिल्ली है जो हम सब की गुरु है और जिससे हमने कला सीखी है। शायद उसे कुछ पता हो। वह मास्टर कैट थी। उस बिल्ली को बुलाया गया। सारे गांव की बिल्लियां इकट्ठी हो गईं। कोई पांच सौ बिल्लियों ने भीड़ लगा ली मकान के आस-पास, क्योंकि यह चमत्कार का मामला था। और अगर फकीर की बिल्ली हारती है, तो फिर बिल्ली सदा के लिए चूहों से हार जाएगी।
चूहा अपनी जगह बैठा था। फकीर की बिल्ली जब भीतर जाने लगी, तो सभी बिल्लियों ने सलाह दी कि देखो ऐसा करना, कि देखो ऐसा करना, कुछ ऐसा कर लेना! उस फकीर की बिल्ली ने कहा, नासमझो, अगर योजना बनाओगी चूहे को पकड़ने की, तो चूहे को कभी न पकड़ पाओगी। क्योंकि जिस बिल्ली ने योजना बनाई, वह हार गई। योजना बनाने का मतलब ही यह है कि चूहे से डर गए तुम। चूहा ही है न! पकड़ लेंगे। कोई पकड़ने में कला की जरूरत नहीं है, बिल्ली होना ही हमारी कला है। हम पकड़ लेंगे। योजना मैं नहीं बनाऊंगी।
योद्धा ने भी कहा कि थोड़ा सोच लो, क्योंकि यह आखिरी मामला है। अगर तू भी लौट गई, तो मुझे घर छोड़ कर भाग जाना पड़ेगा। क्योंकि भीतर इस कमरे के मैं अब नहीं जा सकता हूं। वह चूहे को देखना भी ठीक नहीं है अब। वह वहीं बैठा है अपनी जगह पर। उस बिल्ली ने कहा, ये भी कोई बातें हैं! सब शांत रहें।
वह बिल्ली भीतर गई और चूहे को पकड़ कर बाहर आ गई। बिल्लियों की भीड़ लग गई। उन सब ने पूछा कि चूहे को तुमने पकड़ा कैसे? क्या है तरकीब? उस बिल्ली ने कहा, मेरा बिल्ली होना काफी है। मैं बिल्ली हूं और यह चूहा है। और चूहे सदा से कोआपरेट करते रहे, सदा से सहयोग करते रहे। बिल्लियां सदा से पकड़ती रहीं। यह हम दोनों का स्वभाव है कि मैं बिल्ली हूं और यह चूहा है। यह पकड़ा जाएगा और मैं पकड़ लूंगी। तुमने योजना बनाई, इसी से भूल हो गई। तुम बुद्धि को बीच में लाए, इसी से परेशान हुए।
झेन फकीर इस कहानी को सैकड़ों साल से कहते रहे हैं। यह बिल्ली गरीब फकीर की बिल्ली थी। सम्राट की बिल्ली के बराबर इसके पास शरीर भी न था, ताकत भी न थी। इसके हाथ में तलवार भी न थी। यह साधारण बिल्ली थी। पर उस बिल्ली ने कहा कि मेरा स्वभाव, यह चहे का स्वभाव, इसमें कोई अनहोना नहीं हआ है।
जुजुत्सु या जूडो सिखाने वाले लोग कहते हैं कि प्रकृति का एक नियम और एक स्वभाव है। अगर कोई घूसा आपकी तरफ मारा जाए, अगर आप प्रतिरोध करें, तो दोनों शक्तियां लड़ती हैं और दोनों शक्तियों में संघर्ष होता है। दोनों शक्तियां क्षीण होती हैं। अगर आप प्रतिरोध न करें, तो एक ही तरफ से शक्ति आती है, दूसरी तरफ खाली गड्ढा बन जाता है। शक्ति आत्मसात हो जाती है। दूसरा व्यक्ति परेशान हो जाता है। वह योजना करके हमला करता है। और आप अनायोजित, बिना किसी प्लानिंग के चुपचाप हमले को पी
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