SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free अब एक बड़ा वैज्ञानिक है, बड़े गणित कर रहा है। लेकिन एक कंप्यूटर से बड़े गणित नहीं कर सकेगा जल्दी ही। वह छह महीने लगाएगा, कंप्यूटर सेकेंड में कर देगा। उसकी कीमत खतम हो जाएगी। एक वैज्ञानिक के पीछे कौन पड़ेगा? एक कंप्यूटर घर में खरीद कर रख लेगा, अपना काम कर लेगा। उसकी कोई स्थिति नहीं रह जाएगी। तत्काल पूरी स्थिति बदल जाएगी। दूसरे लोग टॉप पर आ जाएंगे, और ही तरह के लोग। मनोरंजन करने वाले! आज आप देखते हैं कि फिल्म एक्टर अचानक ऊंचाई पर पहुंच गया, जो कभी नहीं था। दुनिया में अभिनय करने वाला आदमी सदा था, लेकिन ऊंचाई पर कभी नहीं था। अप्रतिष्ठित था, प्रतिष्ठा भी नहीं थी उसकी। वह कोई बहुत आदरणीय काम भी न था। लोग उसको अनादरणीय काम समझते थे। लेकिन अचानक सारी दुनिया में फिल्म अभिनेता, फिल्म कलाकार ऊपर पहुंच रहा है। रोज पहुंचता जाएगा। और उसका भविष्य आगे और है। क्योंकि वह मनोरंजन का काम कर रहा है। और जैसे-जैसे लोग खाली होते जाएंगे, वैसे-वैसे उनके मनोरंजन की जरूरत पड़ेगी। जैसे-जैसे लोग खाली होंगे, फुर्सत में होंगे, कोई काम न होगा, तो उनको इंगेज रखने के लिए जरूरत पड़ेगी कि कोई नाच कर उनको, कोई गीत गाकर, कोई कथा, कोई नाटक, कोई व्यवस्था जिससे कि वह उनका खाली समय भरा रहे। वह ऊपर होता चला जाएगा। दुनिया ने कभी भी अभिनेता को ऐसी जगह न दी थी, जैसी बीसवीं सदी ने दी है आकर। और वह बढ़ती जाएगी। नेता बहत जल्दी पीछे पड़ जाएगा। अभी भी पीछे पड़ गया है। पर क्यों? यह सब यटिलिटी की वजह से है। और नहीं तो हंसी-मजाक की बात थी। एक आदमी अगर चेहरा बना लेता था और थोड़ा नाच-कूद लेता था, तो लोग समझते थे, ठीक है। गांव में एकाध-दो आदमी हर गांव में ऐसे होते थे। लेकिन कोई नहीं सोचता था कि यह आदमी चार्ली चैपलिन हो जाएगा कि गांधी जी भी मिलने के लिए उत्सुक हों। चार्ली चैपलिन हो जाएगा यह आदमी! गांव में हंसी-मजाक करता था, ठीक था गांव में। बेकार आदमी हर गांव में होते थे, जो इस तरह के कुछ काम करते थे। और गांव उनको कभी-कभी, बेमौके-मौके उनकी तलाश भी कर लेता था। शादी-विवाह होती, कुछ होता, गांव में जलसा होता, वे आदमी कुछ लोगों को मजा देते थे। बाकी वे प्रतिष्ठित न थे, वह काम कोई अच्छा काम न था। लेकिन इतने जोर से वह प्रतिष्ठित हो जाएगा? लोगों के काम का मूल्य गिर जाएगा, मनोरंजन का मूल्य बढ़ेगा, तो प्रतिष्ठा बदल जाएगी। कौन ऊपर होगा, कौन नीचे होगा, यह सिर्फ उपयोगिता से होता रहता है। लेकिन स्वभाव से कोई ऊंचा और नीचा नहीं है। लाओत्से कहता है, स्वभाव से तुम जैसे हो, वैसे हो। और यदि हम इसको स्वीकार कर लें, तो फिर कोई विग्रह नहीं है, फिर कोई कलह नहीं है, फिर कोई संघर्ष नहीं है-भीतर भी और बाहर भी। 'यदि दुर्लभ पदार्थों को महत्व न दिया जाए, तो लोग दस्यु-वृत्ति से भी मुक्त रहें।' हम निरंतर निंदा करते हैं, लेकिन हम कभी सोचते नहीं। चोर की निंदा करते हैं, डाकू की निंदा करते हैं, बेईमान की निंदा करते हैं, धोखेबाज की निंदा करते हैं, पर कभी सोचते नहीं कि वह धोखेबाज, वह चोर, वह बेईमान किस चीज को पाने के लिए लगा है? और हम, जिस चीज को पाने के लिए वह लगा है, उसका तो हम मूल्य बढ़ाए चले जाते हैं और इसकी निंदा करते चले जाते हैं। बहुत अजीब खेल है! और बहत जालसाजी है खेल में। हम एक तरफ आदर दिए चले लाते हैं कोहनूर को और दूसरी तरफ कोहनूर को पाने वाले की जो कोशिश चल रही है, उसको हम कहते हैं कि ठीक नहीं है। और कोहनूर एक है। और तीन-चार अरब आदमी हैं। और सभी कोहनूर चाहते हैं। अब एक ही है कोहनूर, सभी को मिल सकता नहीं। इसलिए नीति-नियम से कोहनूर को खोजना संभव नहीं है। और फिर रोज दिखाई पड़ता है कि जो नीतिनियम की सब व्यवस्था छोड़ कर घुस पड़ता है, वह कोहनूर पा लेता है। जब रोज दिखाई पड़ रहा हो, तो जो लोग क्यू बनाए हुए खड़े हैं, कब तक खड़े रहेंगे? और जो खड़े रहते हैं क्यू बनाए, पाने वाला उनसे कहता है, तुम बुद्धू हो! तुमसे कहा किसने कि तुम क्यू बनाए खड़े रहो? यह तो हमारी तरकीब है, जिनको क्यू तोड़ कर आगे पहुंचना है, बाकी लोगों को क्यू में लगा देते हैं। उनको हम समझा देते हैं कि तुम क्यू मत तोड़ना, इससे बहुत पाप होता है। सुना है मैंने, एक अदालत में एक चोर से मजिस्ट्रेट ने पूछा है कि तुम्हें शर्म न आई इतने ईमानदार और भले आदमी को धोखा देते! उस आदमी ने कहा कि महाशय, बेईमान को तो धोखा दिया ही नहीं जा सकता। ईमानदारी तो आधार है। ईमानदार को ही धोखा दिया जा सकता है। बेईमान को तो धोखा दिया नहीं जा सकता। तो उस आदमी ने कहा, हम भी यही चाहते हैं कि प्रचार जारी रहे कि ईमानदार होना अच्छा है, अन्यथा हम धोखा न दे पाएं। ईमानदारी जारी रहे, तो बेईमानी काम कर पाए। नहीं तो बेईमानी काम न कर पाए। मैक्यावेली या चाणक्य, जो कि लाओत्से से ठीक उलटे लोग हैं। अगर लाओत्से का विपरीत छोर खोजना हो, तो मैक्यावेली और चाणक्य ऐसे लोग हैं। मैक्यावेली कहता है कि लोगों को समझाओ कि भले रहो, क्योंकि तुम्हारी बुराई तभी सफल हो सकती है कि लोग भले रहें। लोगों को समझाओ कि सादगी से जीओ। लोगों को समझाओ कि सरल रहो। लोगों को कहो कि धोखा मत देना। तो तुम्हारा धोखा सफल हो सकता है। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं -देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy