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हंसी ध्यान के लिए निर्देश
ह
र सुबह जब जागें, तो अपनी आखें खोलने से पहले, शरीर को बिल्ली की तरह तानें । तीन या चार मिनट बाद, आंखें बंद रखे हुए ही, हंसना शुरू करें। पांच मिनट के लिए बस हंसें ही । पहले-पहले तो आप इसे सप्रयास करेंगे, लेकिन शीघ्र ही आपके प्रयास से पैदा की गई ध्वनि प्रामाणिक हंसी को जगा देगी। स्वयं को हंसी में खो दें। शायद इस घटना को वास्तव में घटने में कई दिन लग जाएं, क्योंकि हम इससे बहुत अपरिचित हैं । परंतु शीघ्र ही यह सहज हो जाएगा और आपके पूरे दिन का गुण ही बदल जाएगा। +
ध्यान की विधियां
हंसते हुए बुद्ध
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पान में हंसते हुए बुद्ध, होतेई की एक कहानी है। उसकी पूरी देशना ही बस हंसना थी। वह एक स्थान से दूसरे स्थान, एक बाजार से दूसरे बाजार घूमता रहता। वह बाजार के बीचों-बीच खड़ा हो जाता और हंसने लगता — यही उसका प्रवचन था ।
उसकी हंसी सम्मोहक थी, संक्रामक थी — एक वास्तविक हंसी, जिससे पूरा पेट स्पंदित हो जाता, तरंगायित हो जाता। वह हंसते-हंसते जमीन पर लोटने लगता । जो लोग जमा होते, वे भी हंसने लगते, और फिर तो हंसी फैल जाती, हंसी की तूफानी लहरें उठतीं, और पूरा गांव
हंसी से आप्लावित हो जाता।
लोग राह देखते कि कब होतेई उनके गांव में आए, क्योंकि वह अद्भुत आनंद और आशीष लेकर आता था । उसने कभी भी एक शब्द नहीं बोला – कभी भी नहीं । तुम बुद्ध के बारे में पूछो और वह हंसने लगता; तुम बुद्धत्व के बारे में पूछो और वह हंसने लगता; तुम सत्य के बारे में पूछते कि वह हंसने लगता । हंसना ही उसका एकमात्र संदेश था। 5
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