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ध्यान की विधियां
तुम रिक्त और खाली हो गए हो, तब यह आकर्षित होते हो, तब काम-केंद्र पर बाहर बिलकुल विपरीत आयाम में प्रवाहित होने ध्वनि तुम्हारे भीतर गति कर सकती है। से चोट पड़ती है। और वह चोट भी एक लगती है। अभी तो वह बाहर की ओर
इस ध्वनि का भीतर प्रवाहित होना तभी सूक्ष्म तरंग है। एक पुरुष किसी स्त्री के प्रवाहित हो रही है, तब वह भीतर प्रवाहित संभव है जब तुम खाली हो गए हो। यदि प्रति आकर्षित होता है, या कि एक स्त्री होने लगती है। अभी तो वह नीचे की ओर तुम दमित आवेगों से भरे हो, तो कुछ भी किसी पुरुष के प्रति आकर्षित होती है। बह रही है, लेकिन तब वह ऊपर की ओर घटित न होगा। और कभी-कभी तो किसी क्यों? क्या है पुरुष के भीतर या क्या है बहने लगती है। यह ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन मंत्र या ध्वनि का उच्चार हानिप्रद भी हो स्त्री के भीतर जिससे कि यह आकर्षण ही कुंडलिनी के नाम से जाना जाता है। तुम सकता है, यदि तुम दमित आवेगों से भरे घटित होता है? एक पॉजिटिव या एक इसे अपने मेरुदंड में वास्तव में बहता हुआ हुए हो। दमित आवेगों की प्रत्येक तह इस निगेटिव विद्युत उन्हें चोट करती है, उसकी अनुभव करोगे, और जितने ज्यादा ऊंचे ध्वनि के मार्ग को बदल देगी और अंतिम सूक्ष्म तरंगें। वास्तव में यह सूक्ष्म ध्वनि यह भीतर बहती है, उतने ही ज्यादा ऊंचे परिणाम कुछ ऐसा हो सकता है जिसकी तरंग ही है। उदाहरण के लिए, तुमने तुम भी साथ-साथ गति करते हो। जब यह तुमने कल्पना भी न की हो, कभी अपेक्षा शायद अवलोकन किया हो कि पक्षी ऊर्जा ब्रह्मरंध्र पर पहुंचती है तुम्हारे भी न की हो, कभी चाहा भी न हो। एक काम-आमंत्रण के लिए कुछ ध्वनि का अंतिम केंद्र पर: सिर के ऊपर स्थित खाली मन चाहिए, तभी तुम एक मंत्र का उपयोग करते हैं। उनके अनेक गीत सातवें केंद्र पर-तब तुम मनुष्य के उपयोग कर सकते हो।
यौनगत होते हैं। वे बारंबार एक दूसरे को संभावित परम शिखर पर हो। इसलिए व्यक्ति जैसा है, उसे मैं कभी कुछ विशिष्ट ध्वनियों द्वारा चोट कर रहे तीसरे चरण में तुम्हारी ऊर्जा को किसी मंत्र का सुझाव नहीं देता। पहले हैं। ये ध्वनियां विपरीत यौन के पक्षियों के ऊर्ध्वगामी बनाने के लिए मैं 'हू' का एक रेचन की प्रक्रिया होनी चाहिए। पहले दो काम-केंद्र पर चोट करती हैं।
वाहन की तरह उपयोग करता हूं। चरणों को पूरा किए बिना इस 'हू' मंत्र का विद्युत की सूक्ष्म तरंगें बाहर से तुम पर ये प्रथम तीन चरण रेचनकारी हैं। वे अभ्यास कभी नहीं करना चाहिए। प्रथम चोट कर रही हैं। जब बाहर से तुम्हारे ध्यान नहीं हैं, लेकिन ध्यान के लिए तैयारी दो के बिना इसे कभी नहीं करना चाहिए। काम-केंद्र पर चोट पड़ती है, तब तुम्हारी हैं। वे छलांग के लिए तैयार होना' हैं, वे केवल तीसरे चरण में (दस मिनट के ऊर्जा बाहर की ओर बहना शुरू कर देती स्वयं छलांग नहीं हैं। लिए) इस 'हू' का उपयोग करना है-दूसरे व्यक्ति की ओर, तब फलित चौथा चरण छलांग है। चौथे चरण में चाहिए-जितना संभव हो सके उतने होगा प्रजनन, दूसरे का जन्म; कोई दूसरा मैं तुम्हें बिलकुल रुक जाने के लिए ज्यादा जोर से, अपनी पूरी शक्ति को इसमें व्यक्ति तुमसे जन्म पाएगा।
कहूंगा। जब मैं कहूं, “रुक जाओ", तब लगाते हुए। इस ध्वनि से अपनी ऊर्जा पर 'ह' उसी काम-ऊर्जा के केंद्र पर चोट बिलकुल थिर हो जाओ। बिलकुल ही चोट करें। और जब तुम दूसरे चरण के इस करता है, लेकिन भीतर से। और जब कुछ भी मत करना क्योंकि यदि तुम रेचन द्वारा खाली हुए हो, तब यह 'हू' का काम-केंद्र पर भीतर से चोट पड़ती है, तब कुछ भी करते हो तो वह एक विक्षेप हो उच्चार तुम्हारी गहराई में जाता है और ऊर्जा भीतर ही प्रवाहित होने लगती है। यह जायेगा और तुम असली बात ही चूक तुम्हारे काम-केंद्र पर चोट करता है। ऊर्जा का भीतरी प्रवाह तुम्हें पूरी तरह से जाओगे। कुछ भी–एक जरा-सी खांसी
काम-केंद्र पर दो तरह से चोट की जा बदल देता है। तुम रूपांतरित हो जाते होः या छींक-और तुम सारी बात चूक सकती है। पहला तरीका प्राकृतिक है। जब तुम स्वयं को नया जन्म देते हो। तुम केवल जाओगे क्योंकि मन विक्षेपित हो कभी तुम विपरीत यौन के किसी व्यक्ति से तभी रूपांतरित होते हो, जब तुम्हारी ऊर्जा गया होगा। तब ऊर्ध्वगामी प्रवाह रुक