SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जागरण की दो शक्तिशाली विधियां न एक ऊर्जा की घटना है। ।।सभी प्रकार की ऊर्जाओं के संबंध में एक आधारभूत बात समझ लेनी है, और यह समझने के लिए मूलभूत नियम है कि ऊर्जा दो विपरीत ध्रुवों में बहती है। केवल यही एक ढंग है उसके बहने का; और कोई दूसरा ढंग नहीं है उसके बहने का। वह द्वन्द्वात्मक ध्रुवों में बहती है। किसी भी ऊर्जा को गतिमान होने के लिए विपरीत ध्रुव की जरूरत होती है। यह विद्युत की भांति है जो निगेटिव और सक्रिय-ध्यान : रेचन और उत्सव पॉजिटिव ध्रुवों के बीच बहती है। यदि स्त्री जीवन-ऊर्जा का निगेटिव ध्रुव है और जहां कहीं तुम देखोगे, तुम पाओगे कि केवल निगेटव ध्रुव हो तो विद्युत का प्रवाह पुरुष पाजिटिव ध्रुव है। वे विद्युत ऊर्जा यही ऊर्जा ध्रुवों में गतिमान है, अपने को नहीं होगा; या यदि केवल पॉजिटिव ध्रुव हैं—इसीलिए उनके बीच इतना आकर्षण संतुलित करती हुई। हो तो भी विद्युत का प्रवाह नहीं होगा। है। पुरुष अकेला हो तो जीवन विलीन हो ध्यान के लिए यह ध्रुवीयता बहुत दोनों ही ध्रुव जरूरी हैं। और जब दोनों जाएगा; अकेली स्त्री के साथ कोई जीवन महत्वपूर्ण है क्योंकि मन तर्कसंगत है और ध्रुव जुड़ते हैं, तब वे विद्युत धारा को बनाते घटित न हो सकेगा, केवल मृत्यु होगी। जीवन द्वन्द्वात्मक है। जब मैं कहता हूं कि हैं; तब विद्युत की ऊर्जा जन्मती है। स्त्री और पुरुष के बीच एक संतुलन होता जीवन द्वन्द्वात्मक है तो उसका अर्थ है __ और ऐसा ही नियम है अन्य सभी ऊर्जा है। स्त्री और पुरुष के बीच-इन दो ध्रुवों कि जीवन विपरीत ध्रुवों के बीच गति घटनाओं के लिए। जीवन सतत प्रवाहमान के दो किनारों के बीच जीवन की नदी करता है-एक सीधी रेखा में नहीं। ऊर्जा है-पुरुष और स्त्री के बीच, दो ध्रुवों में। बहती है। चक्कर लगाती है: निगेटिव से
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy