SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओशो के विषय में की, लेकिन अमरीका के दबाव के अंतर्गत 21 प्रेमियों ने एकमत से अपने प्यारे सद्गुरु को ओशो शरीर छोड़कर महाप्रयाण कर गये। देशों ने या तो उन्हें देश से निष्कासित किया 'ओशो' नाम से पुकारने का निर्णय लिया। इसकी घोषणा सांध्य-सभा में की गयी। ओशो या फिर देश में प्रवेश की अनुमति ही नहीं दी। अक्तूबर 1985 में जेल में अमरीका की की इच्छा के अनुरूप, उसी सांध्य-सभा में इन तथाकथित स्वतंत्र व लोकतांत्रिक देशों में रीगन सरकार द्वारा ओशो को थेलियम नामक उनका शरीर गौतम दि बुद्धा आडिटोरियम में ग्रीस, इटली, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, ग्रेट धीमा असर करने वाला जहर दिये जाने एवं दस मिनट के लिए लाकर रखा गया। दस ब्रिटेन, पश्चिम जर्मनी, हालैंड, कनाडा, उनके शरीर को प्राणघातक रेडिएशन से गुजारे हजार शिष्यों और प्रेमियों ने उनकी आखिरी जमाइका और स्पेन प्रमुख थे। जाने के कारण उनका शरीर तब से निरंतर विदाई का उत्सव संगीत-नृत्य, भावातिरेक ___ ओशो जुलाई 1986 में बम्बई और अस्वस्थ रहने लगा था और भीतर से क्षीण और मौन में मनाया। फिर उनका शरीर जनवरी 1987 में पूना के अपने आश्रम में होता चला गया। इसके बावजूद वे ओशो दाहक्रिया के लिए ले जाया गया। लौट आए, जो अब ओशो कम्यून कम्यून इंटरनेशनल, पूना के गौतम दि बुद्धा 21 जनवरी 1990 के पूर्वाह्न में उनके इंटरनेशनल के नाम से जाना जाता है। यहां वे आडिटोरियम में 10 अप्रैल 1989 तक अस्थि-फूल का कलश महोत्सवपूर्वक कम्यून पुनः अपनी क्रांतिकारी शैली में अपने प्रवचनों प्रतिदिन संध्या दस हजार शिष्यों, खोजियों में लाकर च्यांग्त्सू हॉल में निर्मित संगमरमर के से पंडित-पुरोहितों और राजनेताओं के पाखंडों और प्रेमियों की सभा में प्रवचन देते रहे और समाधि भवन में स्थापित किया गया। व मानवता के प्रति उनके षड्यंत्रों का उन्हें ध्यान में डुबाते रहे। इसके बाद के अगले ओशो की समाधि पर स्वर्ण अक्षरों में पर्दाफाश करने लगे। __ कई महीने उनका शारीरिक कष्ट बढ़ गया। अंकित है : . इसी बीच भारत सहित सारी दुनिया के 17 सितंबर 1989 से पुनः गौतम दि बुद्धिजीवी वर्ग व समाचार माध्यमों ने ओशो बुद्धा आडिटोरियम में हर शाम केवल आधे OSHO के प्रति गैर-पक्षपातपूर्ण व विधायक चिंतन __ घंटे के लिए आकर ओशो मौन दर्शन-सत्संग Never Born का रुख अपनाया। छोटे-बड़े सभी प्रकार के के संगीत और मौन में सबको डुबाते रहे। इस : Never Died समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में अक्सर उनके बैठक को उन्होंने “ओशो व्हाइट रोब Only Visited this अमृत-वचन अथवा उनके संबंध में लेख व ब्रदरहुड" नाम दिया। ओशो 16 जनवरी Planet Earth between समाचार प्रकाशित होने लगे। देश के 1990 तक प्रतिदिन संध्या सात बजे "ओशो ___Dec 11 1931-Jan 19 1990 अधिकांश प्रतिष्ठित संगीतज्ञ, नर्तक, व्हाइट रोब ब्रदरहुड" की सभा में आधे घंटे के साहित्यकार, कवि व शायर ओशो कम्यून लिये उपस्थित होते रहे। ध्यान और सृजन का यह अनूठा इंटरनेशनल में अक्सर आने लगे। मनुष्य की 17 जनवरी को वे सभा में केवल नव-संन्यास उपवन, ओशो कम्यून, ओशो चिर-आकांक्षित उटोपिया का सपना साकार नमस्कार करके वापस चले गए। 18 जनवरी की विदेह-उपस्थिति में भी आज पूरी दुनिया देखकर उन्हें अपनी ही आंखों पर विश्वास न को "ओशो व्हाइट रोब ब्रदरहुड" की के लिए एक ऐसा प्रबल चुंबकीय होता। सांध्य-सभा में उनके निजी चिकित्सक स्वामी आकर्षण-केंद्र बना हुआ है कि यहां निरंतर 26 दिसंबर 1988 को ओशो ने अपने प्रेम अमृतो ने सूचना दी कि ओशो के शरीर नए-नए लोग आत्म-रूपांतरण के लिए आ नाम के आगे से 'भगवान' संबोधन हटा दिया। का दर्द इतना बढ़ गया है कि वे हमारे बीच रहे हैं तथा ओशो की सघन-जीवंत उपस्थिति 27 फरवरी 1989 को ओशो कम्यून नहीं आ सकते, लेकिन वे अपने कमरे में ही में अवगाहन कर रहे हैं। इंटरनेशनल के बुद्ध सभागार में सांध्य- सात बजे से हमारे साथ ध्यान में बैठेंगे। दूसरे प्रवचन के समय उनके 10,000 शिष्यों व दिन 19 जनवरी 1990 को, अपराह्न पांच बजे xix
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy