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________________ ओशो से प्रश्नोत्तर होश के क्षणों का संबल आप हमें हर चीज के प्रति वो लोग भी कार्य के समय तो कार्य में सजगता रखने के लिए बड़े सजग होने को कहते हैं-जिसका सजग होने का प्रयास कर रहे प्रशिक्षण और शिक्षण की जरूरत है, और अर्थ हआ हर चीज और हर कत्य हैं, यह उनकी बुनियादी समस्याओं में से बहुत ही सीधे-सरल कृत्यों से शुरू करना के साक्षी हो जाना। एक है क्योंकि कार्य की मांग है कि तुम होता है, जैसे टहलना। तुम टहल सकते जब मैं कार्य में सजग होने का स्वयं को बिलकुल भूल जाओ। उसमें तुम्हें हो, और सजग हो सकते हो कि तुम टहल निर्णय लेता हूं, तो सजगता के बिलकुल गहन होकर संबद्ध होना पड़ता रहे हो-हर कदम होश से भरा हो सकता है...जैसे कि तुम अनुपस्थित हो। जब है। भोजन करना...जैसे झेन मठों में वे __ विषय में भूल जाता हूं, तक ऐसी समग्र संबद्धता न हो, कार्य चाय पीते हैं-इसे वे 'टी सेरेमनी' कहते और जब मुझे यह बोध होता है कि उथला-उथला ही रहता है। हैं, क्योंकि चाय पीते समय व्यक्ति को मैं सजग नहीं था तो मनुष्य की कृतियों में जो कुछ भी महान सचेत व सजग रहना होता है। ग्लानि अनुभव करता हूँ; है-चित्रकारिता में, काव्य में, वास्तुकला ये छोटे-छोटे कृत्य हैं लेकिन शुरू गता है कि में, मूर्तिकला में, जीवन के किसी भी करने के लिए बिलकुल ठीक हैं। चित्र मैंने कोई गलती कर दी। आयाम में-उसमें तुम्हारी पूरी संबद्धता बनाने या नृत्य करने जैसी किसी चीज से क्या आप कृपया समझाएंगे? चाहिए। और यदि साथ ही तुम सजग होने यह शुरू नहीं करना चाहिए-वे बड़ी की चेष्टा कर रहे हो, तो तुम्हारा कार्य गहन और जटिल घटनाएं हैं। दैनिक कभी भी प्रथम कोटि का नहीं होगा, जीवन के छोटे-छोटे कृत्यों से शुरू करो। क्योंकि फिर तुम उसमें मौजूद नहीं जैसे-जैसे तुम सजगता से अधिक परिचित होओगे। होते जाते हो, जब सजगता तुम्हारी 268
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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