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________________ ओशो से प्रश्नोत्तर सकता हूं अगले क्षण में? किया जाता है, वह वास्तविक हो जाता है। तुम्हारा समय निर्मित होता है तुम्हारे यदि तुम चाहते हो कि अगला क्षण जो कुछ अवास्तविकता के रूप में धारण भीतर। तुम्हारा समय मेरा समय नहीं है। अप्रसन्नता वाला हो, तो तुम्हें इसी क्षण किया जाता है, वह हो जाता है उतने ही समानांतर समय अस्तित्व रखते हैं अप्रसन्न होना होगा, क्योंकि अप्रसन्नता में अवास्तविक। तुम्ही हो निर्माता तुम्हारे जितने कि मन होते हैं। कोई एक समय से उत्पन्न होती है प्रसन्नता। जो कुछ तुम चारों ओर के सारे संसार के इस बात को नहीं है। यदि एक समय होता, तो कठिनाई प्राप्त करना चाहते हो अगले क्षण में, तुम्हें खयाल में ले लेना। प्रसन्नता की, आनंद हो गई होती। तब सारी दुखी मानव-जाति उसे बोना होगा बिलकुल अभी। एक बार की घड़ी को पा लेना बहुत दुर्लभ होता है। के बीच, कोई बुद्ध नहीं हो सकता था, चिंता को आने दिया जाता है और तुम इसे मत गंवा देना सोचने-विचारने में ही। क्योंकि हम संबंधित होते एक ही समय सोचने लगते कि अराजकता आएगी, तो लेकिन यदि तुम कुछ नहीं करते, तो चिंता से। नहीं, वह एक ही नहीं होता है। मेरा वह आएगी ही। तुम उसे ले ही आए हो। के आने की संभावना है। यदि तुम कुछ समय आता है मुझसे-वह मेरा सृजन है। अब तुम्हें उसे पास रखना ही होगा; वह नहीं करते-यदि तुम नृत्य नहीं करते, यदि यह क्षण सुन्दर है, तो अगला क्षण आ ही पहुंचती है! अगली घड़ी की प्रतीक्षा यदि तुम गीत नहीं गाते, यदि तुम बांटते जन्मता है ज्यादा सुन्दर-यह है मेरा करने की कोई जरूरत नहीं; वह पहले से नहीं, तो वैसी संभावना होती है। वही समय। यदि यह क्षण उदास होता है तुम्हारे वहां है ही। ऊर्जा जो सृजनात्मक हो सकती है, वह लिए, तो और ज्यादा उदास क्षण जन्मता है · इसे जरा खयाल में ले लेना, और यह सृजन कर देगी चिंता का। वह भीतर नए तुममें से—यह है तुम्हारा समय। सचमुच ही कुछ अजीब बात है : जब तुम तनाव बनाना शुरू कर देगी। समय की लाखों समानांतर रेखाएं उदास होते हो तो तुम कभी नहीं सोचते कि ऊर्जा को होना है सृजनात्मक। यदि तुम अस्तित्व रखती हैं। और कुछ लोग हैं जो यह बात काल्पनिक हो सकती है। कभी उसका उपयोग प्रसन्नता के लिए नहीं अस्तित्व रखते हैं बिना समय के, वे मैंने ऐसा आदमी नहीं देखा जो कि उदास करते, तो वही ऊर्जा प्रयुक्त हो जाएगी जिन्होंने पा लिया है अ-मन। उनके पास हो और कहता हो मुझसे कि शायद यह अप्रसन्नता के लिए। और अप्रसन्नता के कोई समय नहीं क्योंकि वे नहीं सोचते हैं बात काल्पनिक ही है। उदासी संपूर्णतया लिए तुम्हारे पास इतने गहरे रूप से अतीत के बारे में, अतीत तो जा चुका; वास्तविक होती है। लेकिन बद्धमूल हुई आदतें हैं कि उसके लिए केवल मूढ़ सोचते हैं उसके विषय में। जब प्रसन्नता?-तुरंत कुछ गलत हो जाता है ऊर्जा-प्रवाह बहुत मुक्त और स्वाभाविक कोई चीज जा चुकी होती है, तो वह जा और तुम सोचने लगते हो, 'शायद यह होता है। प्रसन्नता लाने के लिए यह एक चुकी होती है। बात काल्पनिक ही है।' जब कभी तुम श्रमसाध्य कार्य होता है। ____ एक बौद्ध मंत्र है : 'गते, गते, परा तनावपूर्ण होते हो, तो तुम कभी नहीं तो पहले कुछ दिन तुम्हें निरंतर रूप से गते–स्वाहा!' 'जा चुका, जा चुका, परम सोचते कि यह काल्पनिक बात है। यदि जागरूक रहना होगा। जब कभी कोई रूप से जा चुका; उसे अग्नि में स्वाहा हो तुम सोच सकते हो कि तुम्हारा तनाव और प्रसन्नता की घड़ी आए, तो होने दो उसकी जाने दो।' अतीत जा चुका है, भविष्य पीड़ा काल्पनिक है, तो वह तिरोहित हो पकड़ तुम पर, करने दो तुम्हें वशीभूत। अभी आया नहीं है। उसकी चिंता क्यों जाएगी। और यदि तुम सोचते हो कि इतनी समग्रता से उसका आनंद मनाओ करनी? जब वह आएगा, हम देख लेंगे। तुम्हारी शांति और प्रसन्नता काल्पनिक हैं, कि अगली घड़ी कुछ अलग तरह की न हो तुम मौजूद होओगे उसका सामना करने तो वे तिरोहित हो जाएंगी। सके। कहां से होगी वह अलग? कहां से को, क्यों चिंता करनी उसकी? जो चला जो कुछ वास्तविकता के रूप में धारण आएगी वह? गया वह चला गया है, नहीं आया हुआ 263
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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