________________
सकते। कमल का तुम कितना ही विज्ञापन क्यों न करो, तुम गुलाब की झाड़ी की बुद्धि भ्रष्ट नहीं कर सकते कि वह कमल बन जाए। वह तो हंस पड़ेगी — क्योंकि गुलाब की झाड़ी गुलाब की झाड़ी है। वह अपने होने में थिर और केंद्रित है। यही कारण है कि पूरी प्रकृति किसी भी तरह रोग से मुक्त है : शांत और मौन और निश्चल | और स्थिर !
केवल मानव मन ही अराजकता में है, क्योंकि हर व्यक्ति कुछ और बनने की लालसा से भरा हुआ है। हजारों जन्मों से तुम यही कर रहे हो। और यदि तुम अब नहीं जागते, तो तुम कब सोचते हो कि
251
ओशो से प्रश्नोत्तर
जागोगे ? जागने के लिए तुम परिपक्व हो । इसी क्षण से जीना, आनंदित होना और आह्लादित होना शुरू करो। चाहना छोड़ो ! जो तुम हो, उसका आनंद लो।
अपने होने में आह्लादित होओ। और फिर अचानक समय मिट जाता है, क्योंकि समय इच्छा के कारण ही होता है। भविष्य इच्छा के कारण ही होता है।
फिर तुम पक्षियों की भांति हो जाओगे; सुनो उनको । फिर तुम वृक्षों की भांति हो जाओगे; ताजगी को, हरियाली को, फूलों को देखो।
जहां हो कृपया वहीं हो रहो। मैं यहां तुममें कोई नई इच्छा पैदा करने के लिए
नहीं हूं; मैं तो यहां तुम्हें इच्छा की पूरी निरर्थकता का बोध दिलाने के लिए हूं। इच्छा संसार है।
इच्छा की निरर्थकता को समझ लेना ही संबुद्ध होना है। जिसने यह खोज लिया कि जो वह सदा से होना चाहता था वह पहले से ही है, तो वह बुद्ध हुआ। और तुम सब बुद्ध हो, चाहे कितनी ही गहरी नींद में क्यों न सोए होओ। और खर्राटे भर रहे होओ उससे कोई भेद नहीं पड़ता ।
मुझे अपना अलार्म बन जाने दो। अपनी आंखें खोलो। बहुत देर तुम सो लिए | अब जागने का समय हुआ। सुबह तुम्हारे द्वार पर दस्तक देती है। 3