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ओशो से प्रश्नोत्तर
केवल साक्षी ही नृत्य कर सकता है
आप हमें सतत समझाते हैं कि 1 न यह प्रश्न देर-अबेर उठाने ही प्रवाह है और सपने नींद में ही
"होशपर्ण होओ." न वाला है क्योंकि तुम्हारे साक्षी होने अस्तित्ववान हो सकते हैं।
कि"साक्षी बनो।" की संभावना से मन बहुत ही भयभीत होता एक साक्षी होकर तुम निद्रा में नहीं लेकिन साक्षी चेतना क्या
है। तुम्हारे साक्षी होने से मन क्यों इतना रहते; तुम जाग जाते हो। तुम जागरूकता वास्तव में गीत गा सकती है,
ज्यादा भयभीत होता है? क्योंकि साक्षी ही हो जाते हो-स्फटिकवत स्पष्ट, बहुत नृत्य कर सकती है और जीवन का आना मन की मृत्यु है।
युवा, बहुत ताजे, बहुत प्राणवान और ___ मन एक कर्ता है-वह कुछ न कुछ सक्षम। तुम एक प्रचंड लपट बन जाते हो का स्वाद ले सकती है?
करते ही रहना चाहता है और साक्षी है जैसे मशाल दोनों छोरों से जल रही हो। या कि साक्षी चेतना कभी भी
न-करने की अवस्था। मन भयभीत है कि प्रगाढ़ता की उस अवस्था में, उस प्रकाश जीवन में सहभागी नहीं बन पाती
त “यदि तुम साक्षी हो गए, तो मेरी कोई और चैतन्य में मन मर जाता है, मन और वह मात्र एक तमाशबीन,
जरूरत ही न रह जाएगी!" और एक अर्थ आत्मघात कर लेता है। एकदर्शक बनी रहती है? में मन ठीक ही सोचता है।
यही कारण है कि मन भयभीत है. और जैसे ही तुम्हारे भीतर साक्षी का मन तुम्हारे लिए कई समस्याएं खड़ी आविर्भाव होता है, मन को विलीन हो करेगा। वह अनेक प्रश्न उठाएगा। अज्ञात जाना पड़ता है, ठीक वैसे ही जैसे कि में छलांग लगाने के प्रति वह तुम में एक अपने अंधेरे कमरे में रोशनी लाओ और दुविधा, एक हिचक पैदा करेगा; वह तुम्हें अंधेरे को विदा लेनी पड़े। यह अपरिहार्य वापस ज्ञात में खींचने की कोशिश करेगा। है। मन जी सकता है यदि तुम गहरी मूर्छा वह तुम्हें विश्वास दिलाएगा: “मेरे साथ में बने रहो क्योंकि मन सपनों का एक होने में रक्षा है, सुरक्षा है; मेरे साथ होकर
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