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________________ ध्यान में बाधाएं के पीछे भाग रहे हो तो यह मन का कार्य है जाती है। नींद में तुम्हें लगता है कि तुम्हें है-मन तो एक यंत्र है। यह बिना कोई कि वह तुम्हारे उद्वेग को रोके। स्वप्न में पेशाब आ रही है। यदि मन यह सपना चिंता किए अपना काम करता है, क्योंकि लगभग रोज यह सबके साथ होता है, पैदा न करे कि तुम उठकर पेशाब करने इसके सामने यह जानने का तो उपाय ही लेकिन लोग कुछ सीखते ही नहीं। गए, फिर वापस आए और सो गए, तो नहीं है कि यह नींद साधारण नींद है या यदि रात तुम भूखे सो जाओ, तो उस तुम्हारी नींद टूट जाएगी-और नींद तो आध्यात्मिक नींद है, साधारण जागरण है रात तुम्हें स्वादिष्ट भोजन करने के सपने शरीर की बड़ी जरूरत है। मन इस बात का या आध्यात्मिक जागरण है। आएंगे। मन तुम्हारी मदद करने की खयाल रख रहा है कि बार-बार तुम्हारी मन के लिए तो सब बराबर है। इसका कोशिश कर रहा है ताकि तुम्हारी नींद में नींद न टूटे, कि तुम आराम से देर तक सो प्रयोजन ही यह है कि तुम्हारी नींद को बाधा न पड़े, वरना तो तुम भूखे हो और सको, ताकि सुबह तुम तरोताजा होकर उठ बनाए रखे और तुम्हारी नींद में बाधा भूख से तुम्हारी नींद टूट जाएगी-मन सको। . डालने वाली हर चीज का प्रतिरोध करे। तुम्हें एक स्वप्न देता है कि तुम अपनी यह मन की सामान्य प्रक्रिया है। फिर तुम भूखे हो तो मन तुम्हें भोजन दे देता है; पसंद का कोई स्वादिष्ट भोजन कर रहे हो, ऊंचे तल पर भी यही बात होती है। एक तो तुम सत्य की तीव्र खोज में हो, तो वह तुम्हें जो तुम्हारे मन को तृप्त कर देता है। भूख है साधारण नींद, और दूसरा है साधारण बुद्धत्व तक दे देता है। तुम कुछ भी मांगो, तो बनी रहती है लेकिन नींद में कोई बाधा जागरण जिसकी मन रक्षा करता है। और मन तुम्हें वह देने को तैयार है। मन नहीं पड़ती। भूख स्वप्न के भ्रम में दब साधना के पथ पर महानिद्रा और किसी भी वास्तविकता का भ्रम पैदा कर जाती है; इससे तुम्हारी नींद की रक्षा हो महाजागरण हैं। लेकिन मन तो प्रशिक्षित सकता है-यही इसकी शक्ति है। 10 238
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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