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ध्यान में बाधाएं
करते हैं। स्वीकार करो।
ऊर्जा उठती हुई अनुभव करोगे। हुए क्योंकि परिस्थिति ही ऐसी थी। तुम यदि तुम विश्रामपूर्ण होना चाहते हो तो और जब मैं कहता हूं कि देखो, तब तुम क्रोध का चिंतन करते हो, तुम क्रोध का स्वीकार मार्ग है। चारों ओर जो कुछ घटित देखने का प्रयास मत करना अन्यथा तुम विश्लेषण करते हो, लेकिन चेतना का हो रहा है उसे स्वीकार करो; उन्हें एक फिर से तनावपूर्ण हो जाओगे और तुम फोकस क्रोध पर है, स्व पर नहीं। तुम्हारी जीवंत समग्रता बनने दो। वह ऐसा एकाग्रता शुरू कर दोगे। बस शिथिल हो सारी चेतना का फोकस क्रोध पर है : तुम है-तुम जानो या न जानो-सब कुछ जाओ, विश्रामपूर्ण और ढीले बने रहो और निरीक्षण कर रहे, विश्लेषण कर रहे, अंतर्संबंधित है। ये पक्षी, ये वृक्ष, यह देखो...क्योंकि तुम और क्या कर सकते तालमेल बिठा रहे, उसके बारे में विचार आकाश, यह सूर्य, यह पृथ्वी, तुम, हो? तुम बस यहां हो; करने के लिए कुछ कर रहे; तुम यह पता लगाने की कोशिश मैं सब परस्पर जुड़े हैं। यह एक जीवंत नहीं है; सब कुछ स्वीकृत है; कुछ भी कर रहे हो कि क्रोध से कैसे बचा जाए, एकत्व है।
निषेध के लिए, इनकारने के लिए नहीं है। उससे कैसे मुक्त हुआ जाए, कैसे यदि सूर्य नष्ट हो जाए तो वृक्ष खो कोई संघर्ष नहीं, कोई लड़ाई नहीं, कोई वह दोबारा न आए। यह विचार की जाएंगे, पक्षी खो जाएंगें; यदि पक्षी और द्वंद्व नहीं। तुम बस देखो। स्मरण रहे : बस प्रक्रिया है। तुम निर्णय लोगे कि यह बुरा वृक्ष खो जाएं, तो तुम भी यहां नहीं हो देखो। 6
है, क्योंकि यह विश्वंसात्मक है। तुम सकते, तुम भी खो जाओगे। यह पर्यावरण
शपथ लोगे कि “अब दूसरी बार मैं विज्ञान है। हर चीज आपस में गहराई से
यह गलती न करूंगा।" तुम क्रोध को जुड़ी हुई है।
ध्यान आत्मपरीक्षण नहीं है संकल्प से नियंत्रित करने का प्रयास इसलिए किसी चीज का इनकार मत
करोगे। यही कारण है कि पश्चिमी करो, क्योंकि जिस क्षण तुम इनकार करते यात्मपरीक्षण है स्वयं के बारे में मनोविज्ञान विश्लेषणात्मक बन गया हो, तुम स्वयं के भीतर की ही किसी चीज सोचना। आत्मस्मरण सोचना है-विश्लेषण करना, काटना-छांटना। का इनकार कर रहे हो। यदि तुम इन बिलकुल ही नहीं है; यह है स्वयं के प्रति पूरब का मनोविज्ञान कहता है: चहकते हुए पक्षियों का इनकार करते हो, बोधपूर्ण होना। फर्क बारीक है, लेकिन “होशपूर्ण रहो। क्रोध के विश्लेषण का तो तुम्हारे भीतर भी कुछ इनकार कर दिया बहुत बड़ा है। .
प्रयास मत करो; उसकी कोई जरूरत नहीं गया।
पश्चिमी मनोविज्ञान आत्मपरीक्षण पर है। उसे बस देखो, लेकिन होश से भर कर यदि तुम शिथिल होते हो तो तुम जोर देता है और पूर्वी मनोविज्ञान देखो। सोचना शुरू मत करो।" वास्तव में स्वीकार के भाव में होते हो। अस्तित्व का आत्मस्मरण पर जोर देता है। आत्मपरीक्षण यदि तुमने सोचना शुरू कर दिया, तो यह स्वीकार विश्रामपूर्ण होने का एक मात्र करते समय तुम करते क्या हो? उदाहरण सोचना क्रोध को देखने में एक बाधा बन उपाय है। यदि छोटी-छोटी बातें तुम्हें क्षुब्ध के लिए, तुम क्रोधित हो, तो तुम क्रोध आएगा। तब सोचना क्रोध पर हावी करती हैं तो वास्तव में यह तुम्हारा के बारे में सोचना शुरू कर देते हो कि हो जाएगा तब सोचना एक बादल की तरह दृष्टिकोण है जो तुम्हें क्षुब्ध करता है। क्रोध किस कारण निर्मित हुआ। तुम क्रोध को आच्छादित कर लेगा; स्पष्टता ___मौन बैठो; चारों ओर जो घटित हो रहा विश्लेषण करने लगते हो कि क्रोध का खो जाएगी। सोचो बिलकुल ही मत। है उसे सुनो और शिथिल हो जाओ। कारण क्या है। तुम निर्णय लेने लगते निर्विचार दशा में रहो, और देखो। स्वीकार करो, शिथिल हो जाओ और हो कि क्रोध अच्छा है कि बुरा। तुम जब क्रोध और तुम्हारे बीच विचार अचानक तुम अपने भीतर एक विराट व्याख्या करने लगते हो कि तुम क्रोधित की एक तरंग भी नहीं है, तब क्रोध का
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