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ध्यान की विधियां
ऐसे गति करो, जैसे कि तुम सच ही अस्तित्व ही तुम्हारी प्रेमिका, तुम्हारा प्रेमी किसी के साथ एक हो गए हो। और तब संभोग कृत्य में उतर रहे हो। वह सब कुछ बन जाता है-और तब इस विधि का एकरूपता का यह भाव साथी से मुक्त करो जो तुमने अपने साथी के साथ किया उपयोग लगातार किया जा सकता है, और किया जा सकता है और पूरे अस्तित्व के होता। चीखो, हिलो, कंपो। जल्दी ही व्यक्ति अस्तित्व के साथ सतत मिलन में साथ उपयोग में लाया जा सकता है। तुम ऊर्जा का वर्तुल बन जाएगा, और यह रह सकता है। और फिर तुम इस प्रयोग को किसी वृक्ष के साथ, चांद के साथ, किसी वर्तुल चमत्कारिक है। जल्दी ही तुम्हें दूसरे आयामों में भी कर सकते हो। सुबह भी चीज के साथ काम-कृत्य में हो सकते लगेगा कि वर्तुल बन गया, लेकिन अब टहलते हुए तुम इसे कर सकते हो। फिर हो। एक बार तुम जान जाओ कि इस यह वर्तुल किसी पुरुष या स्त्री के साथ तुम्हारा हवा से, और उगते हुए सूरज से, वर्तुल को कैसे निर्मित करना है, तो यह नहीं बना। यदि तुम पुरुष हो तो पूरा जगत और सितारों से, और वृक्षों से मिलन होता किसी भी चीज के साथ निर्मित किया जा स्त्री बन जाएगा; यदि तुम स्त्री हो तो पूरा है। रात सितारों को एक टक देखते हुए तुम सकता है—बिना किसी चीज के भी जगत पुरुष बन जाएगा। अब तुम स्वयं यह प्रयोग कर सकते हो। चांद की ओर निर्मित किया जा सकता है। अस्तित्व के साथ एक गहन मिलन में हो, देखते हुए तुम यह प्रयोग कर सकते हो। यह वर्तुल तुम अपने ही भीतर निर्मित और दूसरा, जो द्वार है, अब मौजूद नहीं एक बार तुम जान जाओ कि कैसे यह होता कर सकते हो क्योंकि पुरुष पुरुष और स्त्री
है तो तुम पूरे अस्तित्व के साथ संभोग में दोनों है और स्त्री भी स्त्री व पुरुष दोनों है। दूसरा बस एक द्वार है। किसी स्त्री से उतर सकते हो।
तुम दोनों ही हो, क्योंकि तुम दो के द्वारा संभोग करते हुए, वास्तव में तुम अस्तित्व लेकिन मनुष्यों के साथ शुरू करना पैदा हुए थे। तुम पुरुष और स्त्री दोनों के से ही संभोग कर रहे हो। स्त्री बस एक अच्छा है क्योंकि वे तुम्हारे निकटतम द्वारा निर्मित हुए थे, इसलिए तुम्हारा आधा द्वार है, पुरुष बस एक द्वार है। दूसरा हैं-ब्रह्मांड के निकटतम अंश हैं। लेकिन हिस्सा विपरीत ध्रुव का रहता है। तुम सब व्यक्ति समग्र के लिए एक द्वार ही है, वे परिहार्य हैं। तुम एक छलांग ले सकते कुछ पूरी तरह से भूल सकते हो, और लेकिन तुम इतनी जल्दी में हो कि तुम्हें हो और द्वार को बिलकुल भूल सकते हो। वर्तुल तुम्हारे भीतर निर्मित किया जा कभी इसका बोध ही नहीं होता। यदि तुम मिलन का स्मरण करने से भी रूपांतरण सकता है। एक बार वर्तुल तुम्हारे भीतर मिलन में बने रहो, घंटों तक गहन होता है।" और तुम रूपांतरित हो जाओगेः निर्मित हो जाए-तुम्हारा पुरुष तुम्हारी स्त्री आलिंगन में आबद्ध रहो, तो तुम दूसरे को तुम नए हो जाओगे।
के साथ मिले, भीतर की स्त्री भीतर के भूल जाओगे और वह बस समग्र का ही तंत्र कहता है : इसमें समग्रता से प्रवेश पुरुष के साथ मिले तो तुम अपने भीतर विस्तार बन जाएगा। एक बार इस विधि करो। अपने को, अपनी सभ्यता को, ही आलिंगनबद्ध हो गए। और जब यह का पता चल जाए तो तुम अकेले भी अपने धर्म को, अपनी संस्कृति को, अपनी वर्तुल निर्मित होता है तभी वास्तविक इसका उपयोग कर सकते हो, और अकेले धारणाओं को बस भूल जाओ; सब कुछ ब्रह्मचर्य उपलब्ध होता है। वरना तो सब इसका उपयोग कर सको तो यह तुम्हें एक भूल जाओ। बस संभोग में उतर जाओः ब्रह्मचर्य केवल विकृतियां हैं, और तब वे नई स्वतंत्रता दे देती है-दूसरे से उसमें समग्रता से चले जाओ; कुछ भी अपनी स्वयं की समस्याएं निर्मित कर लेते स्वतंत्रता।
बाहर मत छोड़ो। बिलकुल निर्विचार हो हैं। जब भीतर यह वर्तुल निर्मित होता है, वास्तव में, ऐसा होता है कि पूरा जाओ। तभी यह बोध होता है कि तुम तो तुम मुक्त हो जाते हो। 4
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