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ध्यान की विधियां
एक बार वे मिल जाएं तो जिस जाता है। फिर स्त्री और पुरुष का समझने जैसा है। विपरीतता ने आकर्षण पैदा किया था, वही सह-जीवन एक सुंदर लय बन सकता है। तुम मुझे प्रेम करते हो, लेकिन मुझे तुम संघर्ष बन जाती है। हर छोटी-छोटी बात वरना, वह एक सतत संघर्ष बना रहता है। उसी ढंग से प्रेम नहीं करते जैसे अपने पति पर उनके दृष्टिकोण भिन्न होते हैं, उनकी छुट्टियां भी होती हैं। कोई दिन में को, अपनी पत्नी को करते हो। मेरे प्रति पहुंच भिन्न होती है। यद्यपि वे एक ही भाषा चौबीस घंटे तो नहीं लड़ता रह सकता, उसे तुम्हारा प्रेम शारीरिक नहीं है; मेरे साथ बोलते हैं फिर भी एक-दूसरे को समझ थोड़ा आराम भी चाहिए ताकि नई तुम्हारा प्रेम बिलकुल भिन्न घटना है-यह नहीं सकते।
लड़ाई के लिए तैयार हो सकने को थोड़ा आत्माओं का प्रेम है, शरीर का नहीं। और पुरुष जिस ढंग से संसार को देखता है आराम मिले।
दूसरे, मुझसे तुम जुड़े हो-अपनी सत्य वह स्त्री से भिन्न है। जैसे, पुरुष दूर की लेकिन यह सबसे आश्चर्यजनक घटना की खोज के कारण। बातों में उत्सुक होता है-मनुष्यता के है कि स्त्री और पुरुष हजारों वर्षों से साथ मेरा तुम्हारा संबंध ध्यान का है। मेरे भविष्य में, दूर के सितारों में, कि दूसरे रह रहे हैं और फिर भी अजनबी हैं। वे और तुम्हारे बीच ध्यान ही एक मात्र सेतु ग्रहों पर जीवित प्राणी हैं या नहीं। बच्चे पैदा किए चले जाते हैं फिर भी है। जैसे-जैसे तुम्हारा ध्यान गहराएगा
स्त्री इस पूरी निरर्थकता पर हंसती है। अजनबी बने रहते हैं। स्त्रैण दृष्टिकोण वैसे-वैसे तुम्हारा प्रेम भी गहराएगा, और वह आस-पास के छोटे से घेरे में ही और पौरुष दृष्टिकोण एक-दूसरे से इतने जब तुम्हारा ध्यान खिलेगा तो तुम्हारा प्रेम उत्सुक होती है-पड़ोसियों में, परिवार में, विपरीत हैं कि जब तक सजग चेष्टा न की भी खिलेगा। लेकिन यह एक बिलकुल कि कौन अपनी पत्नी को धोखा दे रहा है, जाए, जब तक यह तुम्हारा ध्यान ही न बन भिन्न तल पर हो रहा है। किसकी पत्नी शोफर के प्रेम में पड़ गई है। जाए, तब तक शांत जीवन की कोई आशा अपने पति के साथ तुम ध्यान से नहीं उसका रस बड़ा स्थानीय और अत्यंत नहीं है।
जुड़ी हो। तुम लोग कभी एक घंटा भी मानवीय होता है। उसे पुनर्जन्म की चिंता मेरी गहन चेष्टाओं में से यह एक हैः साथ-साथ नहीं बैठते कि एक-दूसरे नहीं हैन ही वह मृत्यु के बाद के जीवन में कि कैसे प्रेम और ध्यान को एक-दूसरे में की चेतना को महसूस करो। या तो तुम उत्सुक है। उसका रस व्यावहारिक चीजों इतना समाहित किया जाए कि हर लड़ रहे हो, या संभोग कर रहे हो, लेकिन में है। उसका वर्तमान में, अभी और यहां प्रेम-संबंध स्वतः ध्यान में एक साझेदारी दोनों ही बातों में तुम शरीर से, शारीरिक में रस है।
बन जाए-और हर ध्यान तुम्हें इतना हिस्से से, जैविकी से, हार्मोन्स से संबंधित पुरुष कभी अभी और यहां नहीं होता। सजग कर दे कि तुम्हें प्रेम में गिरने की हो। तुम एक-दूसरे के अंतर्तम बिंदु से वह सदा कहीं और होता है। उसकी जरूरत न रहे, तुम प्रेम में ऊपर उठ सको। संबंधित नहीं हो। तुम्हारी आत्माएं अजीब व्यस्तताएं होती हैं-पुनर्जन्म, तुम सजग रूप से, सविवेक कोई मित्र अलग-अलग बनी रहती हैं। मंदिरों में मृत्यु के बाद का जीवन! खोज ले सकते हो।
और चर्चों में, और न्यायालयों में तुम्हारे ___ यदि दोनों साथी इस तथ्य के प्रति सचेत तुम मेरे साथ एक गहन लयबद्धता का, शरीरों का ही विवाह होता है। तुम्हारी हों कि यह दो विपरीतताओं का मिलन है, शांति के क्षणों का, प्रेम और मौन का आत्माएं मीलों दूर रहती हैं। यदि तुम
और यह कि इसे कोई संघर्ष बनाने की अनुभव करते हो, और स्वभावतः तुममें चाहती हो कि अपने पुरुष के साथ तुम्हारा जरूरत नहीं है, तो फिर यह बिलकुल यह प्रश्न उठा है कि जो मेरे साथ संभव संबंध लयबद्ध हो तो तुम्हें और अधिक विपरीत दृष्टिकोण को समझने और है, वह उस व्यक्ति के साथ क्यों संभव ध्यानपूर्ण होना सीखना पड़ेगा। अकेला आत्मसात करने का एक बड़ा अवसर बन नहीं है जिसे तुम प्रेम करते हो। यह भेद प्रेम ही पर्याप्त नहीं है।