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प्रेम में ऊपर उठना
प्रेम में ऊपर उठनाः ध्यान में एक साझेदारी
प्रति आकर्षित करता है।
एक- द
हाग, उतना ही उनमें
छ अत्यंत बुनियादी बातें समझने की हैं। पहली, पुरुष और स्त्री एक ओर तो एक-दूसरे के परिपूरक हैं,
और दूसरी ओर विपरीत ध्रुव हैं। उनका विपरीत होना ही उन्हें एक-दूसरे के प्रति आकर्षित करता है। जितनी दूर वे होंगे, उतना ही उनमें गहन आकर्षण होगा; जितने वे एक-दूसरे से भिन्न होंगे, उतना ही आकर्षण और सौंदर्य होगा। लेकिन इसी में सारी समस्या भी है।
जब वे निकट आते हैं, तो निकटतर आना चाहते हैं, वे एक-दूसरे में घुल जाना चाहते हैं, एक हो जाना चाहते हैं, एक लयबद्ध समग्रता बन जाना चाहते हैं लेकिन उनका पूरा आकर्षण विपरीतता पर निर्भर करता है, और लयबद्धता विपरीतता के विलीन होने पर निर्भर करेगी।
जब तक कोई प्रेम संबंध बहुत जागरूक न हो तो बड़ा विषाद, बड़ी तकलीफ पैदा करेगा। सभी प्रेमी अड़चन में हैं। अड़चन व्यक्तिगत नहीं है; यह चीजों के स्वभाव में है। वे एक-दूसरे के प्रति आकर्षित न हुए होते...इसे वे प्रेम में गिरना कहते हैं इसके लिए वे कोई कारण नहीं दे सकते कि उन्हें एक-दूसरे की ओर ऐसा प्रबल आकर्षण क्यों है। वे तो मौलिक कारणों के प्रति भी सचेत नहीं हैं; इसलिए एक अजीब बात होती है : सबसे सुखी प्रेमी वे होते हैं जो कभी नहीं मिलते।
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