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मात्र बैठना
जोन के साधक कहते हैं: "बस बैठ
राजाओ, कुछ भी मत करो।” संसार में सबसे कठिन काम है-कुछ न करते हुए बस बैठना। लेकिन एक बार तुम्हें उसका गुर आ जाए, यदि कुछ महीनों तक रोज तुम कुछ घंटे बिना कुछ किए बैठे रहो तो धीरे-धीरे कई बातें होंगी। तुम्हें नींद-सी
आने लगेगी, तुम सपने देखोगे। कई विचार तुम्हारे मन में भीड़ लगा लेंगे, कई बातें होंगी। मन कहेगा, “तुम अपना समय
झा-झेन
क्यों व्यर्थ कर रहे हो? तुम थोड़ा धन ही रहो...वह हर तरह की चालाकियां करेगा; कल्पना, न कोई स्वप्न, न कोई विचार। कमा सकते थे। कम से कम तुम कोई कल्पना करेगा, स्वप्न देखेगा, निद्रित होने तुम बस बैठे हुए हो, कुछ भी न फिल्म ही देखने चले जाते, अपना लगेगा। मन तुम्हें शांत मुद्रा से बाहर करते...और सब मौन है, सब शांत है, मनोरंजन कर लेते, या तुम आराम करते घसीटने के लिए जो कर सकता है करेगा। आनंद ही आनंद है। तुम परमात्मा में प्रवेश
और गप-शप मार लेते। तुम टेलीविजन लेकिन तुम यदि बैठे ही रहो, सतत प्रयास कर गए, तुम सत्य में प्रवेश कर गए। 2 देख सकते थे या रेडियो सुन सकते थे, या में लगे रहो, तो एक दिन सूरज उगता है। तुम कहीं भी बैठ सकते हो, लेकिन कम से कम तुम अखबार ही पढ़ लेते जो एक दिन ऐसा होता है, तुम्हें नींद नहीं जिस चीज की ओर भी तुम देखो वह बहुत तुमने अभी तक नहीं देखा है। अपना आती, मन तुमसे थक जाता है, तुमसे ऊब उत्तेजक नहीं होनी चाहिए। जैसे, चीजें समय तुम व्यर्थ क्यों कर रहे हो?" जाता है, यह विचार ही छोड़ देता है कि बहुत गतिशील नहीं होनी चाहिए। वे
मन तुम्हें हजारों तर्क देगा, लेकिन तुम तुम्हें फंसाया जा सकता है, तुमसे सब नाते विक्षेप बन जाती हैं। तुम वृक्षों को देख यदि मन से बिना प्रभावित हुए सुनते तोड़ लेता है। न कोई नींद बची, न सकते हो उसमें कोई समस्या नहीं है
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