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तृतीय नेत्र से देखना
टस विधि में पंद्रह-पंद्रह मिनट के
२ चार चरण हैं। पहले दो चरण साधक को तीसरे चरण में सहज लातिहान के लिए तैयार कर देते हैं। ओशो ने बताया है कि यदि पहले चरण में श्वास-प्रश्वास को ठीक से कर लिया जाए तो रक्त प्रवाह में निर्मित कार्बन डाइआक्साइड के कारण आप स्वयं को गौरीशंकर जितना ऊंचा अनुभव करेंगे।
गौरीशंकर ध्यान
पहला चरणः पंद्रह मिनट दूसरा चरणः पंद्रह मिनट
ग्रहणशील हो जाने दें। आपके सामान्य
नियंत्रण के पार शरीर को गतिशील आंखें बंद करके बैठ जाएं। नाक से सामान्य श्वास प्रक्रिया पर लौट आएं करती हुई सूक्ष्म ऊर्जाओं की अनुभूति गहरी श्वास लेकर फेफड़ों को भर लें। और किसी मोमबत्ती की लौ अथवा होगी। इस लातिहान को होने दें। आप श्वास को जितनी देर बन पड़े रोके रखें, जलते-बुझते नीले प्रकाश को सौम्यता से गति न करें: गति को सौम्यता से और तब धीमे-धीमे मुख के द्वारा श्वास को देखते रहें। अपने शरीर को स्थिर रखें। प्रसादपूर्वक स्वयं ही होने दें। बाहर छोड़ दें और जितनी देर संभव हो फेफड़ों को खाली रखें। फिर नाक से तीसरा चरण: पंद्रह मिनट
चौथा चरण: पंद्रह मिनट श्वास भीतर लें और पूरी प्रक्रिया को दोहराएं। पहले चरण में पूरे समय इस आंखें बंद रखे हुए ही, खड़े हो जाएं आंखें बंद किए हुए ही, शांत और श्वास की प्रक्रिया को जारी रखें।
और अपने शरीर को शिथिल एवं स्थिर होकर लेट जाएं।
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