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ध्यान के विषय में
अधिक सृजनात्मकता से-फिर भी तुम दिन-रात छाये हुए हो-दिन-प्रति-दिन। आनंदपूर्ण, आह्लादकारी परम धन्यता है सब में निर्लिप्त होते हो, पर्वत शिखर पर तुम्हारा काम-धंधा क्या है? तुम नदी पर कि यह स्वयं अपना पुरस्कार है। इसका खड़े निरीक्षणकर्ता की भांति, नीचे चारों क्यों जाते हो? अनेक बार मैं तुम्हारे पीछे एक क्षण-और सारे खजाने इसके सामने ओर जो हो रहा है उसे मात्र देखते हुए। गया हूं, लेकिन वहां कुछ भी नहीं फीके हैं।"
तुम कर्ता नहीं, द्रष्टा होते हो। यह ध्यान होता-तुम बस बैठे रहते हो घंटों, फिर पहरेदार बोला, “यह अजीब बात है। मैं का पूरा रहस्य है कि तुम द्रष्टा हो जाते हो। आधी रात को तुम वापस आते हो!" अपने पूरे जीवन निरीक्षण करता रहा हूं कर्म अपने तल पर जारी रहते हैं, इसमें ___बाल शेम ने कहा, “मुझे पता है कि तुम लेकिन मैं ऐसे किसी सुंदर अनुभव से कोई समस्या नहीं बनती-चाहे लकड़ियां कई बार मेरे पीछे आये हो, क्योंकि रात का परिचित नहीं हुआ हूं। कल रात मैं आपके काटना हो या कुएं से पानी भरना हो। तुम सन्नाटा इतना है कि मैं तुम्हारे पदचाप की साथ आ रहा हूं। मुझे इसमें दीक्षित करें। कोई भी छोटा या बड़ा काम कर सकते हो; ध्वनि सुन सकता हूं। और मैं जानता हूं कि मुझे पता है कि कैसे निरीक्षण करना है केवल एक बात अवांछित है और वह है हर रात तुम बंगले के द्वार के पीछे छिपे लेकिन शायद देखने के किसी दूसरे ही कि तुम्हारा स्व-केंद्रस्प होना खोये नहीं। रहते हो। लेकिन केवल ऐसा ही नहीं है कि आयाम की जरूरत है। आप शायद किसी यह होश, यह द्रष्टा सर्वथा अनाच्छादित तुम मेरे बारे में उत्सुक हो, मैं भी तुम्हारे दूसरे ही आयाम के द्रष्टा हैं।" और अखंडित बना रहना चाहिए। 2 बारे में उत्सुक हूं। तुम्हारा काम क्या है?" केवल एक ही चरण है और वह चरण
पहरेदार बोला, “मेरा काम? मैं एक है एक नया आयाम, एक नई दिशा। या तो हृदी धर्म में विद्रोही साधकों की एक साधारण पहरेदार हूं।"
हम बाहर देखने में रत हो सकते हैं या हम सरहस्य-धारा है हसीद। इसके बाल शेम बोला, “हे परमात्मा, तुमने बाहर के प्रति आंखें बंद कर सकते हैं और स्थापक बाल शेम एक दुर्लभ व्यक्ति थे। तो मुझे कुंजी जैसा शब्द दे दिया! मेरा धंधा अपनी समग्र चेतना को भीतर केंद्रित कर मध्य रात्रि को वे नदी से वापस लौटते। यह भी तो यही है!"
सकते हैं। फिर तुम जान सकोगे, क्योंकि उनकी रोज की चर्या थी, क्योंकि रात में पहरेदार बोला, "लेकिन मैं नहीं तुम 'जानने वाले' हो, तुम चैतन्य हो। तुमने नदी पर परिपूर्ण निस्तब्धता और शांति समझा! यदि तुम पहरेदार हो तो तुम्हें किसी इसे कभी खोया नहीं है। तुमने अपनी रहती थी। वे बस बैठते थे वहां-कुछ न बंगले या महल की देख-रेख करनी चेतना को हजार बातों में उलझा भर रखा करते-बस 'स्व' को देखते हुए, द्रष्टा को चाहिए। तुम वहां क्या देखते हो नदी की है। अपनी चेतना को सब तरफ से वापस देखते हुए। एक रात जब वे नदी से वापस रेत पर बैठे-बैठे?"
लौटा लो और उसे स्वयं के भीतर आ रहे थे, तब वे एक धनी व्यक्ति के बाल शेम ने कहा, "हमारे बीच थोड़ा विश्रामपूर्ण होने दो और तुम घर वापस आ बंगले से गुजरे और पहरेदार प्रवेशद्वार पर फर्क है। तुम देख रहे हो कि बाहर का कोई गये हो। खड़ा था।
व्यक्ति महल के भीतर न घुस पाये। मैं बस पहरेदार उलझन में पड़ा हुआ था कि हर इस देखनेवाले को देखता रहता हूं। कौन है यान का अंतरतम और सार तत्व रात, ठीक इसी समय यह व्यक्ति वापस यह द्रष्टा? -यह मेरे पूरे जीवन की सा है यह सीखना कि कैसे आ जाता था। पहरेदार आगे आया और साधना है कि मैं स्वयं को देखता हूं।" , साक्षी हों। बोला, "मुझे क्षमा करें आपको रोकने के पहरेदार बोला, "लेकिन यह एक एक कौआ आवाज दे रहा है...तुम सुन लिए, लेकिन मैं अपनी उत्सुकता को और अजीब काम है। कौन तुम्हें वेतन देगा?" रहे हो। यहां दो हैं-विषय-वस्तु ज्यादा रोक नहीं सकता। तुम मुझ पर बाल शेम बोला, “यह इतना (आब्जेक्ट) और विषयी (सब्जेक्ट)।