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और पुरुष के तर्क बड़े भिन्न होते हैं। पुरुष एक चीज से दूसरी चीज पर छलांग लगाता रहता है, और स्त्रियों के लिए यह अकल्पनीय है। उनके लिए तो विकास होना चाहिए— क्रमिक विकास। लेकिन चुनाव करो। इन दोनों को करके देखो, और तुम्हें जो भी अपने लिए अच्छा लगे, उसे चुन लो ।
इस विधि के संबंध में दो-तीन बातें और। बिजली की कौंध के साथ तुम्हें इतनी गरमी का अनुभव हो सकता है कि शायद वह तुम्हें असहनीय लगे । यदि तुम्हें ऐसा लगे तो इस प्रयोग को मत करो। बिजली की कौंध तुम्हें बहुत गरमी दे सकती है। यदि तुम्हें ऐसा लगे, कि यह असहनीय है,
ध्यान की विधियां
तो इस प्रयोग को मत करो। फिर यदि पहली विधि तुम्हारे लिए सहज है, तो ठीक । अन्यथा असहजता से इसे मत करो। कई बार विस्फोट इतना बड़ा हो सकता है कि शायद तुम उससे भयभीत हो जाओ, और एक बार भयभीत हो गए तो फिर कभी दोबारा इस प्रयोग को न कर पाओगे। फिर भय आ जाता है।
तो व्यक्ति को सदा सजग रहना होता है कि किसी भी चीज से भयभीत न हो। यदि तुम्हें लगे कि भय लगेगा, और यह तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा हो जाएगा, तो इसे मत करो। फिर प्रकाश किरणों वाली पहली विधि सबसे अच्छी है। यदि तुम्हें लगे कि प्रकाश-किरणों से भी बहुत गरमी आ रही
है - और यह निर्भर करता है, क्योंकि लोग भिन्न हैं - तो कल्पना करो कि किरणें शीतल हैं; उनके शीतल होने की कल्पना करो। तब गरमी महसूस करने की बजाय तुम हर चीज के साथ एक शीतलता का अनुभव करोगे। वह भी प्रभावकारी होगा। तो तुम निर्णय ले सकते हो ः प्रयोग करके देखो और निर्णय लो। स्मरण रखो, यदि इस विधि में या किसी और विधि में तुम्हें बहुत बेचैनी लगे या कुछ असहनीय लगे, तो उसे मत करो। दूसरी विधियां भी हैं, और हो सकता है यह विधि तुम्हारे लिए न हो । भीतर व्यर्थ की अशांति से तुम इतनी समस्याएं निर्मित कर लोगे जितनी सुलझा भी नहीं पाओगे ।
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