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शुभ लक्षण है। इससे पता चलता है कि अब ऊर्जा वहां जीवंत है। अब उसे गति चाहिए। तो भयभीत मत होओ और यह मत सोचो कि कुछ गलत हो रहा है। यह एक शुभ लक्षण है।
जब तुम ध्यान करने लगोगे तो काम-केंद्र अधिक संवेदनशील, जीवंत, और उत्तेजित हो जाएगा, और प्रारंभ में तो उत्तेजना किसी कामोत्तेजना जैसी ही होगी — लेकिन केवल प्रारंभ में ही । जैसे-जैसे तुम्हारा ध्यान गहराएगा, तुम ऊर्जा को ऊपर की ओर बहता अनुभव करोगे। जैसे-जैसे फिर ऊर्जा बहती है, काम-केंद्र शांत व कम उत्तेजित हो जाता है।
जब ऊर्जा वास्तव में सहस्रार पर पहुंच जाती है तो काम केंद्र पर कोई संवेदना नहीं होगी। वह बिलकुल शांत और स्थिर हो जाएगा। वह पूरी तरह शीतल हो जाएगा, और उष्मा सिर पर पहुंच जाएगी। और यह शारीरिक घटना है। जब काम-केंद्र उत्तेजित होता है, तो गरम हो
ध्यान की विधियां
जाता है। तुम उस गरमी को अनुभव कर सकते हो; वह शारीरिक है। जब ऊर्जा गति करती है, तो काम केंद्र शीतल से शीतल होता जाएगा और उष्मा सिर में पहुंच जाएगी। तुम चक्कर- सा आता अनुभव करोगे ।
जब ऊर्जा सिर पर पहुंचेगी तो तुम चक्कर - सी बेचैनी अनुभव करोगे। कई बार तो तुम्हें मितली का जी भी हो सकता है क्योंकि ऊर्जा पहली बार, सिर पर आई है और तुम्हारा सिर उससे परिचित नहीं है। उससे तालमेल बिठाना है। तो डरो मत। कई बार तो हो सकता है कि तुम तत्क्षण बेहोश हो जाओ, लेकिन डरो मत। यह : होता है। यदि इतनी ज्यादा ऊर्जा अचानक गति करने लगे और सिर में विस्फोटित हो जाए, तो शायद तुम बेहोश हो जाओ । लेकिन वह बेहोशी एक घंटे से अधिक नहीं रह सकती। एक घंटे के भीतर ऊर्जा स्वयं ही पीछे लौट जाती है या मुक्त हो जाती है। मैं कहता हूं एक घंटा, लेकिन वास्तव में यह समय ठीक 48 मिनट है।
उससे अधिक नहीं हो सकता। हजारों वर्ष के प्रयोगों में उससे अधिक समय नहीं लगा है, इसलिए डरो मत। यदि तुम बेहोश भी हो जाओ तो ठीक है। उस बेहोशी के बाद तुम इतने ताजे अनुभव करोगे कि जैसे पहली बार तुम गहनतम नींद में सोए हो ।
योग ने इसे एक विशेष नाम दिया है : 'योग तंद्रा' – योग - निद्रा । वह नींद बहुत गहरी है: तुम गहनतम केंद्र पर चले जाते हो। लेकिन डरो मत। और यदि तुम्हारा सिर गरम हो जाए, तो यह एक शुभ लक्षण है। ऊर्जा को मुक्त कर दो। ऐसा अनुभव करो कि तुम्हारा सिर एक कमल के फूल की तरह खिल रहा है, जैसे कि ऊर्जा ब्रह्मांड में मुक्त हो रही है। जैसे ही ऊर्जा मुक्त होती है तुम अपने भीतर एक शीतलता को आता हुआ महसूस करोगे । तुमने उस शीतलता का कभी अनुभव ही नहीं किया जो इस गरमी के बाद आती है। लेकिन विधि को पूरा ही करो; इसे कभी भी अधूरा मत करो। 2
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