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अंधकार पर ध्यान
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व ने कहाः वर्षाऋतु की रा किसी अंधेरी रात में, आकारों के आकार की भांति उस अंधकार में प्रवेश करो।
अंधकार में तुम कैसे प्रवेश कर सकते हो? तीन बातें:
पहला चरण:
. अंधकार को गौर से देखो। कठिन है। किसी ज्योतिशिखा या प्रकाश के किसी भी
आंतरिक अंधकार
स्रोत की ओर देखना सरल है, क्योंकि वह तुम्हारी आंखों में प्रवेश करने लगेगा। हिस्सा है; वह विधायक अंधकार नहीं है। वह एक विषय की भांति इंगित होकर वहां और जब अंधकार तुम्हारी आंखों में प्रवेश यहां प्रकाश है : तुम अपनी आंखें बंद मौजूद है; तुम अपना होश उसी ओर करे, तो तुम अंधकार में प्रवेश कर रहे हो। कर लो और एक अंधकार पा सकते हो, केंद्रित कर सकते हो। अंधकार कोई विषय अंधेरी रात में जब इस विधि को करो तो लेकिन वह अंधकार प्रकाश का निगेटिव नहीं है; वह तो सभी जगह है, चारों ओर आंखें खोले रहो। अपनी आंखें बंद मत मात्र ही है। ठीक उसी तरह जैसे तुम जब है। तुम उसे एक विषय की तरह नहीं देख करो क्योंकि बंद आंखों से तुम्हारे समक्ष खिड़की की ओर देखने के बाद अपनी सकते। शून्य में ही गौर से झांको। वह एक भिन्न अंधकार होता है जो तुम्हारा आंखें बंद करते हो तो तुम्हें खिड़की की चारों ओर है; तुम बस उसमें झांको। अपना है, मानसिक है; वह वास्तविक निगेटिव आकृति दिखाई देती है। हमारा विश्रामपूर्ण हो जाओ और उसमें झांको। नहीं है। वास्तव में, वह एक नकारात्मक सारा अनुभव प्रकाश का ही है, तो जब
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