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अंधकार पर ध्यान
अंधकार पर ध्यान
स बीज की भांति, जो अपना जीवन मिट्टी के अंधकार में शुरू
करता है, या उस बच्चे की भांति जो अपना जीवन गर्भ के अंधकार में शुरू करता है, सभी प्रारंभ अंधकार में ही होते हैं, क्योंकि अंधकार किसी भी चीज के शुरू होने के लिए अनिवार्य शर्तों में से है।
प्रारंभ रहस्यमय है, इसीलिए अंधकार की जरूरत है। और प्रारंभ इतना नाजुक है, इसलिए भी अंधकार की जरूरत है। प्रारंभ बहुत अंतरस्थ भी है, इस कारण से भी अंधकार की जरूरत है। अंधकार में एक गहराई है और पोषण की एक विराट शक्ति है। दिन तुम्हें थका देता है; रात फिर से ताजा कर जाती है।
सुबह तो आएगी ही, दिन तो पीछे-पीछे चला ही आएगा, लेकिन यदि तुम अंधकार से भयभीत हो गए तो फिर दिन कभी नहीं आएगा। यदि कोई अंधकार को छोड़ देना चाहे तो दिन असंभव है। प्रभात तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को आत्मा की घनेरी अंधेरी रात से गुजरना होता है। मृत्यु पहले है, बाद में जीवन है।।
वस्तुओं की सामान्य शृंखला में जन्म पहले होता है, बाद में जीवन विकसित होता है। लेकिन अंतर्जगत में, अंतर्यात्रा में, इसके ठीक विपरीत होता है: मृत्यु पहले है, जीवन बाद में।।
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