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________________ प्रकाश पर ध्यान द से दिन में कम से कम दो बार २ करो-सबसे अच्छा समय सुबह-सुबह का है, ठीक तुम्हारे बिस्तर से उठने से पहले। जिस क्षण तुम्हें लगे कि तुम जाग गए, इसे कम से कम बीस मिनट के लिए करो। सुबह सबसे पहला यही काम करो!-बिस्तर से मत उठो। वहीं, उसी समय, तत्क्षण इस विधि को करो, स्वर्णिम प्रकाश ध्यान क्योंकि जब तुम नींद से जग रहे होते हो जाग रही होती है, उस समय पूरे विश्व में लगेंगी; तब तुम धारा के विरुद्ध लड़ोगे। तब बहुत नाजुक और संवेदनशील होते जाग रही ऊर्जा की एक विशाल लहर होती सुबह के समय तुम धारा के साथ जाओगे। हो। जब तुम नींद से बाहर आ रहे होते हो है। उस लहर का उपयोग कर लो; अवसर तो इसे शुरू करने का सबसे अच्छा समय तब बहुत ताजे होते हो और इस विधि का को मत चूको। सुबह-सुबह का है, ठीक उसी समय जब प्रभाव बहुत गहरा जाएगा। जिस समय सभी प्राचीन धर्म सुबह-सुबह प्रार्थना तुम आधे सोए और आधे जागे होते हो। तुम नींद से बाहर आ रहे होते हो तो उस किया करते थे जब सूर्य उगता है, क्योंकि और प्रक्रिया बड़ी सरल है। इसके लिए समय सदा की अपेक्षा तुम बुद्धि में कम सूर्य का उगना अस्तित्व में व्याप्त सभी किसी मुद्रा, किसी योगासन, किसी स्नान होते हो। तो कुछ अंतराल हैं जिनके ऊर्जाओं का उदित होना है। इस क्षण में इत्यादि, किसी चीज की जरूरत नहीं है। माध्यम से यह विधि तुम्हारे अंतर्तम सत्व तुम उदित होती ऊर्जा की लहर पर सवार तुम अपने बिस्तर में जैसे लेटे हुए हो, में प्रवेश कर जाएगी। और सुबह-सुबह, हो सकते हो; यह सरल होगा। शाम तक वैसे ही अपनी पीठ के बल लेटे रहो। जब तुम जाग रहे होते हो और पूरी पृथ्वी यह कठिन हो जाएगा, ऊर्जाएं वापस बैठने अपनी आंखें बंद रखो। जब तुम श्वास 125
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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