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ध्यान की विधियां
हैं, तो तुम्हारी आंखें भिन्न ढंग से गति और इस प्रवाह और गत्यात्मकता के कारण तक गति नहीं करने देते, तो वे बाहर से करती हैं-एक भिन्न लय में गति करती ही वे इतनी जीवंत हैं। गति जीवन है। भीतर की ओर गति करने लगेंगी। या तो वे हैं। तुम्हारी आंखों और उसकी गति को तुम प्रयास कर सकते हो अपनी आंखों असे ब की ओर गति करेंगी या यदि तुम देखते हुए यह कहा जा सकता है कि किस को किसी खास बिंदु पर, किसी एक उन्हें बाहर गति न करने दो, तो वे भीतर किस्म का विचार भीतर चल रहा है। जब विषयवस्तु पर रोक लेने के लिए और उन्हें की ओर गति करने लगती हैं। गति उनका तुम भूखे होते हो और भोजन का एक गति न करने देने के लिए, लेकिन गति स्वभाव है; गति उनकी जरूरत है। यदि विचार भीतर उठ रहा है, तो आंखों की में होना उसका स्वभाव है। तुम गति तुम अचानक उन्हें रोक लो और उन्हें बाहर एक अलग गति होती है।
को रोक नहीं सकते, लेकिन तुम अपनी गति न करने दो, तो वे भीतर की ओर गति इसलिए स्मरण रहे कि विचार और आंखों को रोक रख सकते हो। यह फर्क करने लगती हैं। आंखों की गति परस्पर जुड़ी हुई है। समझ लो।
इस तरह गति की दो संभावनाएं हैं। इसलिए यदि तुम अपनी आंखों को और तुम अपनी आंखों को एक स्थिर बिंदु पहली गति है : विषय असे विषय ब की उसकी गतियों को रोक लो, तो तत्काल पर या दीवाल पर बने एक निशान पर रोक ओर; यह एक बाह्य गति है; और विचारों की प्रक्रिया भी रुक जाएगी। या ले सकते हो, तुम उस बिंदु पर टकटकी सामान्यतया यही गति घटित हो रही है। फिर यदि तुम्हारे विचारों की प्रक्रिया बंद हो लगा सकते हो; तुम अपनी आंखों को उस लेकिन एक दूसरी संभावना है जो तंत्र जाए तो आंखों की गति अपने आप ही बंद : पर टिका सकते हो। लेकिन गति करना और योग का अभ्यास है-एक बाह्य हो जाएगी।
उनका स्वभाव है। वे विषय अ से ब की विषय से दूसरे बाह्य विषय की ओर गति एक और बातः आंखें एक विषय से ओर गति नहीं कर सकतीं; क्योंकि तुमने न करने देना, यह गति ही रोक देना। दूसरे विषय पर सतत गति करती रहती हैं। उन्हें बिन्दु अ पर रुकने के लिए बाध्य कर तब आंखें बाह्य विषयवस्तु से अंतस अ से ब पर, ब से स पर-वे सतत गति दिया है, लेकिन तब एक अजीब घटना चेतना में छलांग लगा जाती हैं। वे भीतर करती रहती हैं। हलन-चलन उनका फलित होती है।
की ओर गति प्रारंभ कर देती हैं। स्वभाव है। यह ऐसे ही है जैसे एक नदी गति तो वहां होनी ही है; वह आंखों का इन बातों को स्मरण रखें, फिर इन बहती रहती है-बहना उसका स्वभाव है। स्वभाव है। यदि तुम उन्हें बिन्दु अ से ब विधियों को समझना आसान होगा।।
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