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ध्यान की विधियां
गव ने कहाः किसी । आरामदेह मुद्रा में दोनों कांखों के मध्यक्षेत्र (वक्षस्थल) में धीरे-धीरे परिव्याप्त हो जाओ-और फिर गहन शांति।
यह एक अत्यंत सरल विधि है परंतु चमत्कारिक ढंग से कार्य करती है-इसे करके देखो। और कोई भी इसे कर सकता। है, इसमें कोई खतरा नहीं है। किसी आरामदेह स्थिति में पहली बात यह है
शांत हृदय
कि किसी विश्रामपूर्ण मुद्रा में आ किसी भी ऐसी शारीरिक स्थिति से शुरू है तो एक काम करो उसे और तनावयुक्त जाओ-सहज, जो भी तुम्हारे लिए सहज कर दो जो तुम्हारे लिए सरल हो। उसके कर दो। यदि तुम्हें लगे कि पैर में, दाएं पैर हो। तो किसी विशेष मुद्रा या आसन में लिए संघर्ष मत करो। तुम किसी में तनाव है तो तनाव को जितना हो सके बैठने का प्रयास मत करो। बुद्ध एक आरामकुर्सी पर बैठकर विश्राम कर सकते ज्यादा सघन कर लो। उसे शिखर पर ले निश्चित मुद्रा में बैठते हैं। वह उनके लिए हो। बस इतना ही हो कि तुम्हारा शरीर जाओ और फिर अचानक ढीला छोड़ दो सहज है। वह तुम्हारे लिए भी सरल हो विश्रांत अवस्था में रहे।
ताकि तुम महसूस कर सको कि कैसे वहां सकती है यदि कुछ समय तुम उसका अब अपनी आंखें बंद कर लो और पूरे विश्राम उतरता है। फिर पूरे शरीर में खोजो अभ्यास कर लो, लेकिन शुरू में वह शरीर को अनुभव करो। पैरों से शुरू करो। कि कहीं तनाव तो नहीं है। जहां भी तुम्हें तुम्हारे लिए सरल न होगी। और उसका महसूस करो कि कहीं उनमें कोई तनाव तो लगे कि तनाव है, वहां और ज्यादा तनाव अभ्यास करने की कोई जरूरत नहीं है: नहीं है। यदि तुम्हें लगे कि कहीं कोई तनाव डालो, क्योंकि जब तनाव सघन होता है,