________________
ध्यान की विधियां
27च्छा हो कि यह प्रार्थना रात में
जकरो। कमरे में अंधेरा कर लो और उसके तुरंत बाद सो जाओ। या सुबह भी इसे किया जा सकता है, परंतु उसके बाद पंद्रह मिनट का विश्राम जरूर करना चाहिए। वह विश्राम अनिवार्य है, अन्यथा तुम्हें लगेगा कि तुम नशे में हो, तंद्रा में हो।
ऊर्जा में यह निमज्जन ही प्रार्थना है। यह प्रार्थना तुम्हें बदल डालती है। और जब तुम बदलते हो, तो पूरा अस्तित्व भी बदल जाता है।
प्रार्थना ध्यान
दोनों हाथ ऊपर की ओर उठा लो, अब पृथ्वी के साथ प्रवाहित होने का की ऊर्जा से मिलन हो सके। हथेलियां खुली हुई हों और सिर सीधा उठा अनुभव करो। पृथ्वी और स्वर्ग, ऊपर और इन दोनों चरणों को छह बार और हुआ रहे। अनुभव करो कि अस्तित्व तुममें नीचे, यिन और यांग, पुरुष और दोहराओ ताकि सभी चक्र खुल सकें। इन्हें प्रवाहित हो रहा है।
स्त्री-तुम बहो, तुम घुलो, तुम स्वयं को अधिक बार किया जा सकता है, लेकिन जैसे ही ऊर्जा तुम्हारी बाहों से होकर पूरी तरह छोड़ दो। तुम नहीं हो। तुम एक कम करोगे तो बेचैन अनुभव करोगे और नीचे बहेगी, तुम्हें हलके-हलके कंपन का हो जाओ, निमज्जित हो जाओ।
सो नहीं पाओगे। अनुभव होगा-तुम हवा में कंपते हुए पत्ते दो या तीन मिनट बाद, या जब भी तुम प्रार्थना की उस भावदशा में ही सोओ। की भांति हो जाओ। उस कंपन को होने पूरी तरह भरे हुए अनुभव करो, तब तुम बस सो जाओ और ऊर्जा बनी रहेगी। नींद दो, उसका सहयोग करो। फिर पूरे शरीर धरती की ओर झुक जाओ और हथेलियों में उतरते-उतरते भी तुम उस ऊर्जा के साथ को ऊर्जा से स्पंदित हो जाने दो, और जो और माथे से उसे स्पर्श करो। तुम तो बस बहते रहोगे। यह गहन रूप से सहयोगी होता हो उसे होने दो।
वाहन बन जाओ कि दिव्य ऊर्जा का पृथ्वी होगा क्योंकि फिर ऊर्जा तुम्हें सारी रात घेरे