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________________ डालने के खंभात भेजी । उदयन मंत्री को पता चल गया कि सिद्धराज कुमारपाल को ढूंढकर मार ड़ालना चाहता है और सैनिक खंभात आ पहुँचे हैं। उन्होंने कुमारपाल को हेमचन्द्राचार्य के उपाश्रय में भेजकर कुमारपाल को बचाने के लिये आचार्य श्री को कहा। गुरुदेव ने कुमारपाल को तहखाने में पुस्तकों की पीछे छिपा दिया और थोड़ी सी भी आवाज न करने के लिये कहा । सैनिक ढूंढते ढूंढते उपाश्रय पर आये और तुच्छता से आचार्यश्री को 'कुमारपाल यहीं है, दे दो' ऐसा रोब से कहा । आचार्यश्री ने कहा : 'यहाँ नहीं है, नहीं मानते हो तो देख लो सब जगह ।' सैनिकों ने चारों ओर खोज की और वापिस लौट गये। इस प्रकार कुमारपाल एक धात से बच गये । थोड़ी देर के बाद कुमारपाल को तहखाने से बाहर निकाला। कुमारपाल ने सैनिकों के साथ की सब बात सुनी थी। उसने गुरुदेव का उपकार माना और कहा कि कदापि आपका यह उपकार नहीं भूलूंगा, आज से मैं आपका दास हूँ। श्री चन्द्राचार्य ने कहा, 'राज्य मिले तब जैन धर्म का प्रचार करना, भविष्य में असंख्य जीवों की तू रक्षा करेगा, इस लाभ का विचार करके यह चालाकी आजमायी थी । वि.सं. १९९९ बैठते ही कुमारपाल पाटण पहुँच गया और अपनी बहिन प्रेमलदेवी के घर रहा । बहनोई कृष्णदेव ने उनको योग्य सम्मान के साथ रखा। महाराज सिद्धराज मृत्युशय्या पर थे तब कुमारपाल पाटण पहुंच गये थे। अब कोई भय नहीं है ऐसा कृष्णदेव ने कहा । कुमारपाल के पाटण जाने के बाद सातवें दिन सिद्धराज की मृत्यु हुई और मागशीर्ष वदी चौथ के दिन सर्वानुमति से राजा कुमारपाल राजगद्दी पर बैठा। कुमारपाल के राजा बनने की खबर सुनने के बाद हेमचन्द्राचार्य विहार करके खंभात से पाटण आये। महामंत्री उदयन को यह समाचार मिलते ही नगरजनों के साथ आचार्यदेव का भव्य स्वागत किया । आचार्यदेव ने कुमारपाल के समाचार उदयन मंत्री को पूछे। 'जिस जिसने कुमारपाल को भूतकाल में मदद की थी उन सबको योग्य पुरस्कार दिये हैं- ऐसा मंत्री ने कहा। मंत्री ने ऐसा भी कहा कि आपको खास याद करते हो ऐसा लगता नहीं है । हेमचन्द्राचार्य ने उदयन मंत्री को कहा, 'आप कुमारपाल के पास जाओ और जिन शासन के चमकते हीरे २६०
SR No.002365
Book TitleJinshasan Ke Chamakte Hire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarjivandas Vadilal Shah, Mahendra H Jani
PublisherVarjivandas Vadilal Shah
Publication Year1997
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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