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कहा, 'हे राजा! आत्मा के परिणाम विशेष से लेश्याएँ छः प्रकार की हैं । '
'जो मनुष्य रौद्र ध्यानी हो, सदा क्रोधी हो, सर्व पर द्वेषी हो, धर्म से वर्जित हो, निर्दय हो और निरंतर बैर रखनेवाला हो उसे विशेष रूप से कृष्ण लेश्यावाला जानना । '
'नील लेश्यावाला जीव आलसी, मंदबुद्धि, स्त्री मे लुब्ध, दूसरों को ठगनेवाला, डरपोक और निरंतर अभिमानी होता है ।'
'निरंतर शोक में मग्न, सदा रोषवाला, पर की निंदा करनेवाला, आत्मप्रशंसा करनेवाला, रणसंग्राम में भयंकर और दुःखी अवस्थावाले मनुष्य की कापोत लेश्या कही गई है । '
'विद्वान, करुणावान्, कार्याकार्य का विचार करनेवाला और लाभ या अलाभ में सदा आनंदी - ऐसे मनुष्य को पीत लेश्या की अधिकता होती है । '
'क्षमावान, निरंतर त्याग वृत्तिवाला, देवपूजा में तत्पर, व्रत को धारण करनेवाला पवित्र और सदा आनन्द में मग्न- ऐसा मनुष्य पद्म लेश्यावाला होता है । ' 'राग द्वेष से मुक्त, शोक और निंदा से रहित तथा परमात्म भाव को पाया मनुष्य शुक्ल लेश्यावाला कहलाता है।'
इन छः लेश्या में प्रथम तीन लेश्याएँ अशुभ हैं और अन्य तीन लेश्याएँ शुभ हैं, उन छः का विस्तार से स्वरूप परखने के लिए जामून खानेवाले तथा गाँव में डकैती डालने वाले छ: छ: पुरुष के दृष्टांत हैं जो इस प्रकार है :
किसी जंगल में क्षुधा से कृष हुए छ: पुरुषों ने कल्पवृक्ष समान जामून का एक पेड़ देखा जिसकी शाखाएँ पके हुए और रसवाले जामून के बोझ से झुक गई थी। वे सब हर्षित होकर बोले, 'अरे! सही अवसर पर यह वृक्ष हमारे देखने में आया है, इसलिए अब स्वेच्छा से उसके फल खाकर हमारी क्षुधा को शांत करें ।' के उनमें से एक क्लिष्ट परिणामवाला था, वह बोला कि 'यह दुरारोह वृक्ष उपर चढ़ने में जान का खतरा है, इसलिये क्यों न इसे तेज कुल्हाडी की धार से पेड को जड़ काट डाले और गिराकर आराम से सब फल खालें ।' ऐसे परिणामी पुरुष को कृष्ण लेश्यवाला समझना चाहिये । तत्पश्चात् कुछ कोमल हृदयवाला बोला कि इस वृक्ष को काटने से हमें क्या अधिक लाभ? सिर्फ एक बड़ी शाखा तोड़कर उपर रहे फल खाए जाय।' ऐसे पुरुष नील लेश्या के परिणामवाले जानने चाहिये । इसके बाद तीसरा बोला, 'इतनी बड़ी शाखाको काटने की क्या जरूरत? उसकी एक प्रशाखा को ही काटी जाये।' ऐसे पुरुष को कापोत लेश्यावाला जानना चाहिये । चौथा बोला, 'इन बेचारी छोटी शाखाओं को काटने से क्या लाभ है? सिर्फ उसके गुच्छ तोड़ने से अपना कार्य सिद्ध हो जायेगा।' ऐसा मनुष्य तेजोलेश्यावाला जिन शासन के चमकते होरे ११४