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________________ साधना के शलाकापुरुष : गुरुदेव तुलसी दिया। निकटवर्ती साधु-समुदाय ने इसका कारण जानना चाहा पर गुरुदेव मौन रहे। इस प्रयोग को उन्होंने तब तक चालू रखा जब तक संतों के कुशलक्षेम के संवाद उन्हें नहीं मिल गए। प्रयोग प्रारम्भ करने का प्रयोजन भी उन्होंने तभी प्रकट किया। इस घटना से सौराष्ट्र में विचरण करने वाले साधु-साध्वियां ही नहीं, सम्पूर्ण संघ अभिभूत एवं गद्गद हो गया। . ___ इसी प्रकार इंदिरा गांधी के शासनकाल में पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार की घटना घटी। उससे पंजाब का जन-जीवन आतंकित और अस्तव्यस्त हो गया। संचार व्यवस्था ठप्प हो गयी। उस समय पंजाब में अनेक साधु-साध्वियां विचरण कर रहे थे। गुरुदेव ने संकल्प किया, जब तक साधु-साध्वियों के सुख-संवाद नहीं मिलेंगे, दूध का प्रयोग नहीं करूंगा। उन दिनों गुरुदेव लाडनूं से जोधपुर की ओर विहार कर रहे थे। उम्र के हिसाब से विहार में थकावट आनी तो स्वाभाविक थी। साधु-साध्वियों ने दूध ग्रहण करने का आग्रहपूर्ण अनुरोध किया किन्तु गुरुदेव अपने संकल्प पर अडिग रहे। लाडनूं से नागौर तक यह संकल्प चला। यद्यपि नागौर से पूर्व पंजाब के साधु-साध्वियों के कुशलक्षेम के संवाद पहुंच गए थे किन्तु . जब तक एक-एक वर्ग के पूरे संवाद नहीं मिले, गुरुदेव ने दूध ग्रहण नहीं किया। दूध छोड़ने के पीछे उनका केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण ही नहीं रहा, मानवीय एवं करुणा का चिंतन भी रहा। सन् १९७५ में कलकत्ता एवं जयपुर समाज में आपसी वैमनस्य एवं टूटन की स्थिति उत्पन्न हो गई। समझाने पर भी समाधान की कोई रेखा दिखाई नहीं पड़ी। इस विग्रह के उपशमन हेतु गुरुदेव ने लगातार एक माह के एकाशन का प्रयोग किया। तपस्या का यह प्रयोग किसी पक्ष पर दबाव डालने के लिए नहीं किया गया था। महात्मा गांधी की भांति आत्मबल को बढ़ाने का एक अहिंसात्मक प्रयोग था, जो काफी अंशों में सफल रहा। ध्यान एवं योग की विशिष्ट साधना खाद्य-संयम के साथ जुड़ी हुई है। यदि साधक का आहार-विवेक जागृत नहीं है तो वह ध्यान की गहराई में उतरकर ऊर्ध्वारोहण नहीं कर सकता और न ही साधना में निखार ला सकता है अत: साधक को भोजन के प्रति अत्यधिक जागरूकता रखनी आवश्यक है। इस संबंध में गुरुदेव साधकों को दिशा-निर्देश देते हुए कहते थे–'साधक को अन्वेषण करते रहना चाहिए कि अमक पदार्थ
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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