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________________ अध्यात्म के प्रयोक्ता महान चिंतन से प्रसूत शताधिक कालजयी कृतियाँ अध्यात्म की दिव्य ज्योति विकीर्ण करती हुई साधकों को आलोक प्रदान कर रही हैं। __सत्य की खोज चाहे वह पदार्थ जगत् की हो या आत्मजगत् की, प्रयोग के साथ निरन्तर अभ्यास आवश्यक है। एक वैज्ञानिक प्रयोग करता है तो वह स्थूल से सूक्ष्म की ओर प्रयाण करता है। इसी प्रकार आत्मज्ञानी साधक भी स्थूल आलम्बन से सूक्ष्म आलम्बन की ओर आगे बढ़ता है। अभ्यास के बिना कोई भी प्रयोग पक नहीं सकता। यदि प्रयोग क्रमिक विकास के साथ होता है तो उसमें सफलता मिलती है, अन्यथा प्रयोगों की सफलता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। इस संदर्भ में पूज्य गुरुदेव का मंतव्य मननीय है-'भारोत्तोलन का अभ्यास करने वाले खिलाड़ी पहले पाँचसात किलो वजन उठाते हैं, फिर दस-बारह किलो उठाते है और अभ्यास को बढ़ाते-बढ़ाते चालीस-पचास किलो तक पहुँच जाते हैं। यही बात आत्मपरिशोधन के उपायों की है। कोई साधक साधना प्रारम्भ करते ही बहुत ऊंचे और सूक्ष्म प्रयोग करने लगे तो वह साधना में उपस्थित बाधाओं से घबरा जाता है, पीछे हट जाता है या अपना मार्ग बदल लेता है।' सन् १९६४ बीकानेर का प्रसंग है। तब तक प्रेक्षाध्यान पद्धति का प्रारम्भ नहीं हुआ था। गुरुदेव की प्रेरणा से संतों में सामूहिक ध्यान का उपक्रम प्रारम्भ हुआ। पद्मासन में बैठकर सभी साधु श्वास पर ध्यान केन्द्रित करते थे। श्वास आ रहा है और जा रहा है, इसको देखने में चित्त को एकाग्र किया जाता था। एक मुनि ध्यान में तंद्रा का अनुभव करने वाले साधुओं को जागृति का संकेत देने के लिए नियुक्त थे। उस समय के ध्यान का अनुभव लिखते हुए पूज्य गुरुदेव कहते हैं- "इस प्रायोगिक क्रम में समय कैसे निकल जाता, पता ही नहीं चलता। मेरी इच्छा थी कि संघ में विशाल पैमाने पर यह प्रयोग चलता रहे। इस संदर्भ में मेरा मन यही कहता है "साफल्यं प्राप्यये गुरुकृपात्" मैं गुरु-कृपा से अवश्य सफलता प्राप्त करूंगा।" ___अपने जीवन से संबंधित विशिष्ट दिवसों पर वे कुछ न कुछ प्रयोग ग्रहण करने का संकल्प अवश्य करते थे। वे कहते थे कि मुझे जो सत्य उपलब्ध हुआ है, उसे मैं प्रयोग की कसौटी पर कसता रहता हूँ और
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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