________________
३३८
साधना के शलाकापुरुष : गुरुदेव तुलसी कहा- 'जाते ही तपस्वी का काम सिद्ध हो जाएगा, ऐसा लगता है।' फूलासर से कुछ आगे चलने पर गुरुदेव के मन में विचार आया कि अभी सरदारशहर से कोई आकर कहेगा कि जल्दी पहुंचे। इस चिन्तन के साथ ही भंवरलालजी दूगड़ आदि श्रावकों ने कहा- 'तपस्वी की स्थिति बड़ी गम्भीर है, आप शीघ्र पधारें।' बीच के पड़ाव को स्थगित कर गुरुदेव तीव्र गति से सरदारशहर पहुंचे। पूज्य गुरुदेव मध्याह्न साढ़े बारह बजे सरदारशहर' पहुंचे। गुरुदेव ने तपस्वी मुनि को दर्शन दिए, गीत गाया और वे प्रयाण कर गए। गुरुदेव की वाणी अक्षरशः सत्य हो गई। . ___योगक्षेम वर्ष का ऐतिहासिक प्रवास। लाडनूं में एक साथ ३०० साधु-साध्वियां आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व-निर्माण एवं प्रज्ञाजागरण के उपायों का प्रशिक्षण ले रहे थे। राजस्थान में प्रायः फाल्गुन में ही धूल भरी आंधियां प्रारम्भ हो जाती हैं पर इस वर्ष चैत्र के प्रथम सप्ताह में गुरुदेव के मुख से सहजतया यह भविष्यवाणी हो गयी कि इस बार अक्षय तृतीया तक लू और आंधी नहीं चलनी चाहिए। गुरुदेव की वासिद्धि का चमत्कार ही मानना चाहिए कि अक्षय-तृतीया तक लू और आंधी नहीं उठी। जैसे ही चतुर्थी का दिन आया आंधी-तूफान ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया।
मेवाड़-यात्रा का प्रसंग है। अचानक संवाद मिला कि यात्रियों की गाड़ी बीच में कहीं रुक गयी है। बस में बच्चे एवं महिलाएं भी थीं अतः लोगों के मन पर चिन्ता के बादल छाने लगे। लोगों की चिन्तातुर आकृतियों
को देखकर गुरुदेव ने दृढतापूर्वक सांत्वना भरे स्वरों में कहा- 'मेरा . विश्वास है कि गाड़ी रुकनी नहीं चाहिए।' १५ मिनिट बाद ही गाड़ी वहां पहुंच गयी। सभी गुरुदेव की इस दूरदृष्टि एवं वाक्सिद्धि पर आश्चर्यचकित थे।
पाली चातुर्मास में त्रयोदशी की पूर्व संध्या में आसमान में काली कजरारी घटाएं उमड़ रही थीं। अणुव्रत नगर यात्रियों से भरा था पालीवासी इन घटाओं को देख घबरा उठे क्योंकि यदि वर्षा हुई तो पूरा अणुव्रत नगर पानी से भर जाएगा। फिर यात्री लोग क्या करेंगे? लोगों के धड़कते हृदय को शान्त करते हुए गुरुदेव ने सहज भाव से कहा- 'जिनका निर्वाण