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________________ साधना के शलाकापुरुष : गुरुदेव तुलसी कभी-कभी अघटित के प्रतिबिम्ब भी पड़ जाते हैं । ३३६ पाश्चात्त्य मनोवैज्ञानिकों ने जो अतीन्द्रिय क्षमताएं खोजी हैं, उन्हें चार वर्गों में विभक्त किया जा सकता है: १. क्लेयरवायेन्स (दूरबोध) :- वस्तुओं और घटनाओं की वह जानकारी, जो ज्ञान-प्राप्ति के सामान्य आधारों के बिना ही उपलब्ध हो जाए । २. प्रीकाग्नीशन (भविष्यज्ञान ) :- बिना किसी मान्य आधार के भविष्य की घटनाओं का ज्ञान । ३. रेट्रोकाग्नीशन (भूतज्ञान) :- बिना किन्हीं मान्य साधनों से अविज्ञात भूतकालीन घटनाओं की जानकारी । ४. टेलीपैथी (विचार - संप्रेषण ) :- बिना किसी सहायता के अपने विचार दूसरों तक पहुंचाना और दूसरों के विचार ग्रहण करना । यहां गुरुदेव के जीवन की कुछ सफल भविष्यवाणियां एवं भविष्यदर्शन की झांकियां प्रस्तुत की जा रही हैं: -- पूज्य गुरुदेव के जीवन से सम्बन्धित दूरबोध की अनेक घटनाएं हैं, जब समाज को उन्होंने आने वाली स्थितियों की पहले ही चेतावनी दे दी। उस समय समाज उनकी दिव्य वाणी का मूल्य नहीं समझ सका लेकिन समय बीतने पर सबके मुंह से यही स्वर निकला - 'आपने हमें पहले ही सचेत कर दिया था अच्छा होता हम आपकी बात पहले ही मान लेते । ' दक्षिण यात्रा के दौरान पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी ने लोगों से अपील की - 'गिरवी का धंधा सामाजिक शोषण है। जो व्यक्ति चंद पैसों के लिए अपने भाई का खून पीता है वह धार्मिक तो हो ही नहीं सकता, मनुष्य कहलाने का भी वास्तविक हकदार नहीं है।' जो इस धंधे से जुड़े थे उन्हें यह बात पसन्द नहीं आई । तीव्र प्रतिक्रिया करते हुए उन्होंने कहा- 'आप इस ब्याज के धन्धे के बारे में कुछ न कहें अन्यथा हम आपका विरोध
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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