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________________ · साधना की निष्पत्तियां संकल्पबल प्रबल होता है। कमजोर संकल्प वाला व्यक्ति पग-पग पर अपनी इच्छाओं एवं कामनाओं का दास बन जाता है। संकल्पबल के आधार पर साधक इन बाधाओं को निरस्त कर आगे बढ़ जाता है । वह पदार्थ - जगत् को अपने अस्तित्व पर हावी नहीं होने देता । परिस्थितिवाद का बहाना बनाकर शिथिल होने वाले साधक न ध्यानी हो सकते हैं और न ही आत्मरमण कर सकते हैं क्योंकि परिस्थितिवाद संकल्पहीन व्यक्तियों के लिए सबसे बड़ी बाधा है। २८३ जब कल्पना दृढ़ निश्चय में बदल जाती है, वही संकल्पशक्ति बन जाती है। आचार्य महाप्रज्ञ का मानना है कि संकल्प और कुछ नहीं होता वह मात्र मनुष्य के भीतर जागा हुआ एक निश्चय होता है, जागरूक प्रहरी होता है, जो परिस्थितियों, कठिनाइयों के थपेड़ों को झेलता झेलता उन्हें चूर-चूर करता हुआ अपने ही सामने आकार लेता है, यही मनुष्य की सबसे बड़ी सफलता है।" पूज्य गुरुदेव कहते थे - " मैं संकल्पशक्ति से परिचित हूं । संकल्प की सफलता में मुझे संदेह नहीं है । संकल्पबल के सहारे मैंने जीवन के हर मोर्चे पर सफलता हासिल करने का प्रयत्न किया है।" इसी दृढ़ संकल्पनिष्ठा के कारण पूज्य गुरुदेव अपनी पौरुष की गति को कभी मंद नहीं होने देते थे। उनका मानना था कि हम सूरज बनने का दावा नहीं करते पर दीया बनकर अन्धकार से संघर्ष जारी रखने का संकल्प तो कर ही सकते हैं। हमसे जितना काम हो सकेगा, हम करेंगे।" पूज्य गुरुदेव का यह अटूट मनोबल शिथिल संकल्प वाले व्यक्तियों के लिए दीपशिखा का कार्य करने वाला है। संकल्पबल से उन्होंने हर परिस्थिति का लोहा लिया और आगे बढ़ते रहे। संकल्प के बारे में उनका अनुभूत सत्य पठनीय है- 'संकल्प में शक्ति है, उससे कठिन से कठिन कार्य सरल हो सकता है पर कोई यह मान बैठे कि संकल्प-शक्ति के सहारे संसार के सब सुखों को प्राप्त कर लेंगे तो यह चिन्तन उचित नहीं है । दृढ़ संकल्पशक्ति वाले व्यक्ति को बाहरी सुख-सुविधाएं मिले या नहीं पर उसका पुरुषार्थ अपने आप में सफल है।' साधना के पथ पर अग्रसर होने वाले व्यक्ति की संकल्पशक्ति के
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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