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________________ साधना के शलाकापुरुष : गुरुदेव तुलसी १४२ साधुता ही है। इसकी सतत सुरक्षा आवश्यक है ताकि आत्म-स्मृति बनी रहे।" आध्यात्मिक प्रशिक्षण शिविर छात्रों में आध्यात्मिक संस्कार भरने हेतु पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से अनेक आध्यात्मिक प्रशिक्षण शिविर लगाए गए। ये शिविर कभी १५ दिन के तथा कभी ७ दिन के लगते थे। इन शिविरों में प्रमुखता विद्यार्थियों की. होती थी। सन् १९७० से १९७५ तक ऐसे अनेक शिविरों का आयोजन हुआ। यद्यपि छात्रों को प्रशिक्षण सात दिन का दिया जाता लेकिन उनके लिए अध्यात्म प्रशिक्षण का कार्यक्रम लम्बे समय का रखा गया। यहां उनके निर्देशक तत्त्वों की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की जा रही हैलक्ष्य शिविर का मुख्य लक्ष्य रखा गया कि स्वभाव-परिवर्तन एवं वृत्ति-संशोधन के लिए कुछ प्रयोग कराए जाएं। इसके लिए मैत्री, प्रमोद, करुणा एवं माध्यस्थ आदि भावनाओं का सक्रिय प्रशिक्षण दिया गया। योग-प्रशिक्षण - योग-प्रशिक्षण के अन्तर्गत वीरवंदन, महामुद्रा, उड्डीयानबंध, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्येन्द्रासन, पद्मासन, भुजंगासन, धनुरासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन एवं कायोत्सर्ग आदि के प्रयोग कराए गए। बौद्धिक प्रशिक्षण बौद्धिक प्रशिक्षण के अन्तर्गत शरीर क्या है ? सात्त्विक आहार का मन से क्या सम्बन्ध है ? भाषा का प्रयोग कैसे किया जाए तथा धर्म और दर्शन के कुछ प्रमुख विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। व्यावहारिक प्रशिक्षण व्यावहारिक शुद्धि के लिए आहार-विवेक, गमन-विवेक, पारस्परिकता, आयोजनों की व्यवस्था का विवेक तथा गीत, नारे आदि का शिक्षण दिया गया। तत्त्वज्ञान प्रशिक्षण नमस्कार मंत्र, वंदनविधि, सामायिकपाठ, मंगलपाठ, तीर्थंकरपरम्परा, आचार्य-परम्परा, पच्चीस बोल, अर्हत् वंदना, अणुव्रतगीत आदि कुछ गीतों का प्रशिक्षण दिया गया।
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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