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योगासन
जप
भावना
(श्वासोच्छ्वास
के साथ आस्रव,
आधा घंटा
१५ मिनिट
आधा घंटा
अध्यात्म के प्रयोक्ता
विविध
उत्कटुकासन
पद्मासन
संवर,
निर्जरा, अनुप्रेक्षा)
स्वाध्याय
आधा घंटा
पद्मासन
ध्यान
एक घंटा
पद्मासन
पूज्य गुरुदेव ने भावितात्मा का केवल प्रयोग ही प्रस्तुत नहीं किया वरन् इस प्रयोग में अभिरुचि उत्पन्न करने हेतु समय-समय पर सक्रिय प्रेरणा भी दी। उनकी प्रेरणा की एक झलक यहां प्रस्तुत की जा रही है' भावितात्मा का जो क्रम आरम्भ हुआ है, उसमें सारे संघ का ध्यान केन्द्रित होना चाहिए। वर्तमान संकटकाल में जिस प्रकार सारा राष्ट्र एक हो गया, उसी प्रकार सबका चिंतन व प्रयास इस साधना-पद्धति के अनुरूप हो तथा वातावरण भी तदनुरूप हो। यह बनाने से नहीं बनता किन्तु सहज होता है । जिन साधु-साध्वियों ने आसन-ध्यान का अनुभव प्राप्त किया है, उनके अनुभव प्रकाश में आने चाहिए, ताकि सबको प्रेरणा मिल सके। '
सेवट्ठी संत बनने की प्रेरणा देते हुए पूज्य गुरुदेव ने फरमाया"वैसे तो सभी साधु-साध्वियां सेवार्थी होते हैं पर मैं चाहता हूं कि ऐसे समर्पित साधु-साध्वियां तैयार हों, जिनका किसी भी समय कहीं भी उपयोग किया जा सके। किसी भी कार्य में जोड़ने पर ननुनच नहीं करने वाला 'सेवट्ठी' विशेषण से विशिष्ट बनेगा ।" सामूहिक प्रशिक्षण का प्रयोग
तेरापंथ द्विशताब्दी समारोह के अवसर पर पूज्य गुरुदेव ने चातुर्मास में अनेक साधु-साध्वियों को अपने साथ रखा। साधु-साध्वियां गुरुदेव के इस अनुग्रह से बहुत प्रसन्न थे पर गुरुदेव ने इस बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा- 'इतनी बड़ी संख्या में साधु-साध्वियों को साथ रखना एक विशेष प्रयोजन के लिए है। संत-सतियां इसे कृपा का फल समझती