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________________ साधना के शलाकापुरुष : गुरुदेव तुलसी ध्यान को आंखें बंद करने से अधिक नहीं मानता, जिसमें हृदय की एकरसता न हो। वास्तव में श्रावक-श्राविका समाज को ही नहीं अपितु साधु-साध्वी समाज को भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ प्रगति करनी चाहिए।' लाडनूं में सन् १९६३ में पूज्य गुरुदेव ने एकमास का आंशिक एकांतवास किया। इसमें प्रवचन के अतिरिक्त लगभग समय ध्यान, स्वाध्याय, जप एवं एकांत चिंतन में बीता। २ अप्रैल सन् १९७१ को सुजानगढ़ के हंसमहल में गुरुदेव ने सात दिन का एकांतवास किया। यह एकांतवास विशेष चिंतन-गोष्ठी के रूप में अधिक रहा। कितनी सफलताएं मिलीं, कहां विफलताओं से सामना करना पड़ा, कितनी भूलें हुईं क्या विकास हुआ? इस पर गहन चिंतन के साथ मुख्यत: जैन विश्व भारती, महावीर की पच्चीसौवीं निर्वाण शताब्दी के बारे में विशेष चिन्तन-विमर्श चला। एकांतवास के प्रारंभ में पूज्य गुरुदेव ने समाज को संबोधित करते हुए कहा- "मैं चार वर्ष की दक्षिण प्रदेश की यात्रा करके आया हूं। मुझे अपने उत्तरदायित्व के ३४-३५ वर्षों का सिंहावलोकन करना चाहिए। संघ की सुरक्षा में कहां प्रगति हुई? कहां भूल हुई और आगे क्या करना है इन सब बातों का एकान्तवास में गहन चिंतन करना है। एकांतवास की संपन्नता पर गुरुदेव ने अपने विचार व्यक्त कहते हुए कहा- 'हमने सात दिनों तक ज्ञान, दर्शन, चरित्र, आस्था, संघ तथा मानवता के संबंध में विस्तार से चिंतन किया। चिंतन में मुक्तता रही। सभी लोग दिमाग खाली करके बैठे थे। वातावरण में मुक्तता रहती थी। जो जिसके मन में आता, शिष्टतापूर्वक अपने विचार सबके सामने रखता। धैर्य और शांतिपूर्वक सब सुनते थे। हमने काफी चिन्तन किया परन्तु फिर भी कहूंगा कि कम किया। खुशी की बात यह थी कि सात दिनों के लिए हमें एकांत का समय मिल गया। स्वास्थ्य-लाभ की दृष्टि से यह समय बहुत उपयोगी रहा। हमने जिन विषयों पर चिन्तन किया है, यदि वे कार्यरूप में जनता के सामने आएंगे तो निश्चित ही उनसे समाज और राष्ट्र का बहुत बड़ा कल्याण होगा।' - एकांतवास का सबसे लम्बा प्रयोग हिसार चातुर्मास में किया गया। २७ सितम्बर १९७३ को लगभग पूर्ण मौन एवं जप के साथ २७ दिन
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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