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________________ साधना के शलाकापुरुष : गुरुदेव तुलसी 'मैंने जीवन में अनेक प्रयोग किए हैं। यह भी एक नया प्रयोग है कि मेरे बिना भी अच्छा महोत्सव हो सकता है।' गुरुदेव के समक्ष लोगों ने प्रश्न किया- 'क्या यहां भी महोत्सव का कार्यक्रम रहेगा?' गुरुदेव ने सहजता से उन्हें समाहित करते हुए कहा- 'महोत्सव के रूप में नहीं। वह तो चाड़वास में ही होगा। हम तो बचा-खुचा मनाएंगे। जो लोग वहां नहीं जा सकेंगे उनके और अत्र स्थित साधु-सध्वियों के बीच मर्यादापत्र-वाचन आदि का कार्यक्रम रहेगा।' अध्यात्म की ऊंचाई पर प्रतिष्ठित साधक ही इतना निस्पृह और उदार हो सकता है। एकान्तवास के प्रयोग भगवान् महावीर ने दो प्रकार की साधना का निरूपण कियासंघबद्ध एवं एकाकी। उन्होंने संघबद्ध साधना को अधिक महत्त्व दिया क्योंकि बीमारी, बुढ़ापा जैसी अवस्थाओं में व्यक्ति को सहयोग की अपेक्षा रहती है। अकेलेपन में सहारा बनने वाला कोई नहीं होता। इसके अतिरिक्त साधना की जो कसौटी समूह या संघ में हो सकती है, वह एकाकी साधना में नहीं हो सकती। एकाकी साधना के अधिकारी वे होते हैं, जो स्वयंबुद्ध होते हैं तथा जिन्हें दूसरों की अपेक्षा नहीं रहती। सामूहिक जीवन की कठिनाइयों को पार करने वाला साधक ही एकाकी साधना के योग्य बन सकता है। लेकिन यह बात भी सत्य है कि साधना के सघन प्रयोग सामूहिक जीवन की अपेक्षा एकांत में अधिक प्रभावी बन सकते हैं क्योंकि सामूहिक जीवन में अनेक ऐसे विक्षेप आते हैं, जिनसे चाह कर भी नहीं बचा जा सकता। पूज्य गुरुदेव ने अपने जीवन में दोनों प्रकार की साधनाओं को महत्त्व दिया। वे कहते थे- 'मुझे एकान्तवास बहुत प्रिय है, पर सामुदायिक जीवन भी कम प्रिय नहीं है। साधना के क्षेत्र में वैयक्तिक और सामूहिक प्रवृत्तियों में संतुलन की अपेक्षा है।' साधना संघबद्ध हो या एकाकी इस विषय में पूज्य गुरुदेव का सापेक्ष दृष्टिकोण मननीय है * साधना को लेकर किसी प्रकार का आग्रह नहीं होना चाहिए। एकांगी व्यक्ति अधूरा होता है। मेरी यह आकांक्षा है कि प्रत्येक साधक सर्वांगीण बने। वह एकांत में रहे, समूह में भी रहे । एकांत में ही साधना हो सकती है अथवा समूह ही साधना की कसौटी है- इन दोनों ऐकांतिकताओं
SR No.002362
Book TitleSadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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