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दोहा-पाहुड हे जोगी ! कर्म पोतानी जाते ज एकठां थाय छे अने पोतानी जाते ज छूटां पडे छे, एमां शंका नथी. चंचळ स्वभावना मुसाफरोनां ते वळी गाम वसतां हशे?
७३ जो तुं दुःखथी डरतो होय, तो बीजा जीवने माटे (पण) जुदुं न विचार. तलना फोतरा जेवडो कांटो य वेदना जरूर करे छे.
७४ आत्मा द्वारा आलोचना करतां पाप क्षणमात्रमा नाश पामे छे. सूर्य एकलो क्षणमा तिमिरसमूहनो नाश करे छे.
७५ हे जोगी ! जेना हृदयमा एक ज परम देव वसे छे ते जन्ममरणरहित बनी परमलोकने पामे छे.
७६ • जे पहेलांनां कर्मोने नष्ट करे छे, नवांने प्रवेशवा देतो नथी, जे परम निरंजनने नमे छे, ते परमात्मा बने छे.
७७ आत्मा त्यां सुधी पापनुं परिणाम अनुभवे छे, त्यां सुधी कर्मबंध करे छे, ज्यां सुधी निर्मळ थईने परम निरंजनने जाणतो नथी.
७८ वळी, दर्शन-ज्ञानमय आत्मा निरंजन परमात्म देव छे. हे मूढ ! एम समजी ले के आत्मा ज साचो मोक्षमार्ग छे.
७९ (लोको) त्यां सुधी कुतीर्थोमां परिभ्रमण करे छे, त्यां सुधी धूर्तता करे छे, ज्यां सुधी गुरुकृपाथी देहमा रहेला देवने ओळखता नथी. ८०
लोभमां मोहित थयेलो तुं त्यां सुधी विषयोमां सुख माने छे, ज्यां सुधी गुरुकृपाथी अविचळ बोध मेळव्यो नथी.
८१ जेनाथी विशेष बोध (आत्मज्ञान) ऊपजे नहीं एवा त्रणे लोकने प्रगट करनारा ज्ञानथी पण (जीव) बहिर्जानी ज रहे छे. परिणामे तेवू ज्ञान पण अशुभ ज छे.
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