________________ 350 प्रभावकचरिते ग्रंथस्य मानमस्य प्रत्यक्षरगणनया सुनिर्णीतम् / पंचसहस्रा सप्त च शतानि चतुरधिकसप्ततियुतानि // 24 // प्रशस्ति श्लोक 180 / उभयं ष 080 / श्रीः श्री० (इति प्रभावकचरितं समाप्तम् ) - 9 In both D and P the verse terre etc comes after the colophonian stanza ending in Palega: and th@ whole text from भावत्पात्रं to अवाप्नुवतु (आप्नुवंतु) is omitted It is owing to this circumstance that too many errors are to be seen here. ___ 2 P ग्रंथस्य मानकथितं प्रत्यक्षरगणवयासुगिर्णीम पंचसहस्रा सप्त च शमानि च तुरसी (शी) ति अधिकमिह // 10 // ग्रंथाग्रं 855 उभयं ग्रंथसंख्या 5794 अक्षर 23 संमत् 1950 ना वर्षे आसोजमासे शुक्लपक्षे 11 गुरुवासरे लिषीम्हात्मारीषलाल ततपुत्र पुनमचंदजी नारेनारगांम नागोरमां देस मारवाड // पाटणमध्ये // खटारवोटटीनोपाडी //