________________
गुरू- इच्छामो वड्ढमाणजोगेण ।
दीक्षार्थी - खमा. देकर कहे- इच्छाकारेण तुम्हे अम्हं पव्वावेह | गुरू- पव्वावेमो । दीक्षार्थी - इच्छं ।
दीक्षार्थी भाई अथवा बहिन उत्तर दिशा या पूर्व दिशा की ओर मुख रखे । दीक्षार्थी के मिले हुए दोनों हाथों पर उसका भाई चंदन का स्वस्तिक करे। फिर वह दीक्षार्थी के हाथ में चावल, सवा रुपया और नारियल अर्पण करे।
दीक्षार्थी हाथ में नारियल आदि लेकर नवकार मंत्र गिनते हुए परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा दें। पूर्ण होने पर नारियल परमात्मा के आगे चढादें । फिर क्रिया का प्रारंभ करें। वज्रपंजर द्वारा शुद्धिकरण करें।
ओम् परमेष्ठि नमस्कारं, सारं नवपदात्मकम् । आत्मरक्षाकरं वज्रपंजराभं स्मराम्यहम् ॥1॥ ओम् नमो अरिहंताणं; शिरस्कं शिरसि स्थितम् । ओम् नमो सिद्धाणं, मुखे मुखपटं वरम् ॥2॥ ओम् नमो आयरियाणं, अंगरक्षातिशायिनी । ओम् नमो उवज्झायाणं, आयुधं हस्तयोर्दृढम् ॥3॥ नमो लोएसव्वसाहूणं, मोचके पादयोः शुभे। एसो पंचनमुक्का, शिला वज्रमयी तले ॥ 4 ॥ सव्वपावप्पणासणो, वप्रो वज्रमयो बहिः । मंगलाणं च सव्वेसिं, खादिरांगारखातिका ॥5॥ स्वाहान्तं च पदं ज्ञेयं, पढमं हवई मंगलं । वप्रोपरि वज्रमयं पिधानं देहरक्षणे ||6|| महाप्रभावा रक्षेयं, क्षुद्रोपद्रवनाशिनी । परमेष्ठिपदोद्भूता कथिता पूर्वसूरिभिः ॥ 7 ॥ यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदैः सदा ।
"
तस्य न स्याद्भयं व्याधि - राधिश्चापि कदाचन ॥8॥ खमा देकर इरियावही तस्स. अन्नत्थ. बोलकर सागरवरगंभीरा तक एक लोगस्स का कायोत्सर्ग कर प्रकट लोगस्स कहें।
खमा देकर मुहपत्ति का पडिलेहण करें। पुजारी से परमात्मा पर पडदा करें। दीक्षार्थी स्थापनाजी की ओर मुख करके दो वांदणा दें। पडदा दूर करें। दीक्षार्थी - खमा. इच्छाकारेण तुम्हे अम्हं सम्मत्त सामाइयं सुय सामाइयं सव्वविरइसामाइयं आरोवणियं नंदीकड्ढावणियं काउसग्गं करावेह |
योग विधि / 17