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________________ रुपया चढायें। इसके बाद दशदिक्पालों की दशों दिशाओं में स्थापना करें व उनका पूजन करें। पूजन में मंत्र बोलकर क्रमश: जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप चढाकर पान में अक्षत, नैवेद्य, फल आदि लेकर चढ़ायें। पूर्व दिशा- ओम् ह्रीं इन्द्राय सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। __अग्निकोण- ओम् ह्रौं अग्नये सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। दक्षिण दिशा- ओम् ह्री यमाय सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। नैर्ऋत्य कोण- ओम् ह्रीं नैर्ऋतये सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। ___ पश्चिम दिशा- ओम् ह्रीं वरुणाय सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। वायव्य कोण- ओम् ह्रीं वायवे सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। उत्तर दिशा- ओम् ह्रीं कुबेराय सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। ईशान कोण- ओम् ह्रीं ईशानाय सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। ___ऊर्ध्व दिशा- ओम् ह्रीं ब्रह्मणे सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। अधो दिशा- ओम् ह्रीं नागाय सायुधाय सवाहनाय सपरिजनाय इह नन्द्यां आगच्छ आगच्छ स्वाहा। दशों दिशाओं में उक्त मंत्र बोलते हुए उन दिशाओं में जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य, फल आदि क्रमशः चढायें। (इति नंदी रचना विधि) दीक्षा विधि ठवणी पर अनावृत्त स्थापनाजी बिराजमान करें। सर्व प्रथम दीक्षार्थी का परिवार गुरू महाराज से दीक्षा देने की प्रार्थना करे। इच्छामि खमासमणो. बोलकर कहे- इच्छाकारेण सचित्तभिक्खं गिह। 16 / योग विधि -
SR No.002356
Book TitlePravrajya Yog Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhsagar
PublisherRatanmala Prakashan
Publication Year2006
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size5 MB
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