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जो वा निक्खमिमणो पडिमं पुत्ताइसंतइनिमित्तं । पडिवज्जेज्ज तओ वा करेज्ज तिविहं पि तिविहेणं ॥ ( २६८८ ) जो पुण पुवारद्धाणुज्झियसावज्जकम्मसंताणो । तदणुमइपरिणई सो न तरह सहसा नियत्तेउं ॥ ( २६८९ ) " जो नवि वह रागे नवि दोसे दोण्ह मज्झयारम्मि । सो होइ उ मज्झत्थो सेसा सव्वे अमज्झत्था " || (२६९१ नि.) 46 पुढवि - जल - जलण - वाया मूला-खंध-ग्ग पोर-चीया य । बि-ति- चउ - पंचिंदिय- तिरिय - नारग - देवसंघाया ॥ (२७०३नि.)
" संमुच्छिम - कम्मा - कम्मभूमगनरा तहंतरद्दीवा । भावदिसा दिस्सर जं संसारी निययमेयाहिं " ॥ ( २७०४ नि. )
ऊसरदेस दलिय व विज्झाइ वणदवो पप्प |
इय मिच्छस्स अणुद उवसमसम्मं मुणेयवं ॥ ( २७३४ ) उवसामगसेढिगयस्स होइ उवसामगं तु सम्मत्तं ।
जो वा अकयतिपुंजो अखवियमिच्छो लहइ सम्मं ॥ (२७३५) " सगयं सम्मत्तं सुए चरित्ते न पज्जवा सवे । देसविर पडुच्चा दोहवि पडिसेहणं कुज्जा " ॥ ( २७५१ नि. ) दो वारे विजया गयस्स तिण्णऽच्चुए य छावट्ठी । नरजम्मपुचकोडी पुहुत्तमुकोसओ अहिअं || (२७६२ ) सम्मत - चरणसहिया सवं लोग फुसे निरवसेसं । सत्त य चोइसभागा पंच य सुयदेसविरईए ॥ ( २७८२ नि.) धणिरुप्पाई इंदियगेज्झत्ताओ पयत्तजत्ताओ । पुग्गल संभूईओ पञ्च्चयभेए य भेयाओ || ( २८२५ ) पूयत्यमिण सा पुण सिर-कर - पायाइ दवसकोओ ॥