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सारे जगत् में सुप्रसिद्ध ऐसे श्री जिनमन्दिरों की महिमा अनेरी और अनूठी है । इसके सम्बन्ध में एक विद्वान् पण्डित ने जिनमन्दिरों की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि
१. 'श्रीजिनमन्दिर' विकासमार्ग से विमुख प्राणियों को इस मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए अगम्य उपदेश देने वाले 'मूल्यवान ग्रन्थ' हैं।
२. भवाटवी के पथभ्रष्ट पथिकों को राह बताने के लिये 'प्रकाश-स्तम्भ' हैं।
३. आधि, व्याधि और उपाधि के त्रिविध ताप से जली हुई आत्मानों को विश्राम के लिये 'आश्रय स्थान' हैं। . ४. कर्म तथा मोह के अाक्रमण से व्यथित हृदयों को आराम देने के लिये 'संरोहिणी औषधि' हैं । ५. आपत्तिरूपी पहाड़ी पर 'घटादार छायादार
वृक्ष' हैं। ६. दुःखरूपी जलते दावानल में 'शीतल हिमकूट' हैं । ७. संसाररूपी खारे सागर में 'मीठे झरने' हैं । ८. सन्तों के 'जीवन प्रारण' हैं।
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-६६