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________________ (२१) जिनमन्दिरों की उपयोगिता वीतराग विभु श्री जिनेश्वर देव की अनुपम सेवाभक्ति तथा उपासनादि के लिये जिनचैत्य-जिनमन्दिरजिनालय आदि की आवश्यकता के साथ-साथ महती उपयोगिता भी है। जैसे जगत् में विद्याध्ययन के लिये विद्यालय, चिकित्सा के लिये चिकित्सालय तथा ज्ञानार्जन के लिये पुस्तकालय इत्यादि की आवश्यकता का अनुभव करते हैं वैसे ही जिनेश्वर देव के दर्शन-वन्दन एवं पूजन के लिये जिनचैत्यजिनमन्दिर-जिनालय की भी अत्यन्त आवश्यकता है । सांसारिक कामों की अपेक्षा प्रात्मकल्याण का काम प्रथमतः आवश्यक है । कारण कि श्रीजिनेश्वर देव के भव्य मन्दिर, जिनमूत्तियाँ तथा उनकी सेवा-पूजा के उत्तम उत्सव-महोत्सव आत्मोन्नति एवं प्रात्मविकास के लिये अनन्य साधन हैं; इतना ही नहीं किन्तु धार्मिक जीवन के केन्द्रित लक्ष्यबिन्दु हैं। अर्थात् आत्मा को प्रात्मकल्याण के कार्य में जिनमन्दिर, . मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-६७
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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