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(१७) मूत्ति के दर्शन-पूजन से लाभ लोक में परिभ्रमण करते हुए मानव को जिनेश्वर भगवान की मूत्ति महान् पालम्बन रूप है। उनके दर्शन एवं पूजन से अनेक लाभ होते हैं।
(१) प्रभु की मूत्ति के दर्शन और पूजन से संसारी आत्मानों की पाप-वासना मन्द पड़ती है और विषय तथा कषाय का वेग घटता है।
(२) प्रभु की मूत्ति के दर्शन एवं पूजन से सुदेव सुगुरु और सुधर्म की श्रद्धा स्थिर रहती है तथा चित्त को शान्ति मिलती है।
(३) प्रभु की मूत्ति के दर्शन व पूजन से भवो-भव की लगी हुई थकावट दूर हो जाती है और परमपद की प्राप्ति भी होती है।
(४) प्रभु की मूत्ति के दर्शन और पूजन से शुभ भावों की जागृति हो जाती है। इससे 'भाव विशुद्धि' का लाभ होता है।
(५) प्रभु की मूत्ति के दर्शन और पूजन से प्रारम्भपरिग्रहादिके त्याग की भावना का उत्थान-जन्म होता है।
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मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-५७