SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इस्लाम धर्म वाले मुसलमान समाज अपने इष्ट हजरत मुहम्मद की मूत्ति का अपमान-तिरस्कारादि नहीं देख सकते हैं। इसी तरह ईसाई धर्म वाले ईसाई समाज भी सूली पर लटकती ईसामसीह की मूर्ति और क्रास का अपमानतिरस्कारादि नहीं देख सकते हैं तथा आर्यसमाजी भी दयानन्द की मूत्ति का अपमान-तिरस्कारादि नहीं देख सकते हैं। अपने-अपने देश में अलग-अलग रंगों से बने राष्ट्रध्वज का भी अपमान-तिरस्कारादि कोई भी देशभक्त या देशप्रेमी सहन नहीं करता है। इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति अपने गुरुजनों, माता-पिता इत्यादि के चित्रों तथा अपने मित्र-स्नेहीजनों के फोटो या चित्रों को फाड़कर पाँवों तले कुचोगा नहीं। किन्तु उनके सम्मुख हाथ जोड़कर नमन-प्रणाम करेगा। __धार्मिक महोत्सवों के प्रसङ्ग पर, विवाह-शादी के प्रसङ्ग पर तथा अन्य राजकीय या सामाजिक कार्यों के प्रसङ्ग पर फोटो-चित्र खींचे जाते हैं, बाद में उन चित्रों को देखकर आनन्द-हर्ष या विषाद एवं रुदन इत्यादि भाव उत्पन्न होते हैं। तत्कालीन घटनायें वर्तमान के समान सामने आ जाती हैं । सिनेमा के पर्दो पर उन्हें मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-४८
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy