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________________ है। इतना ही नहीं कन्तु प्रात्मा सकल कर्मों का क्षय करके परमात्मा बनकर मोक्ष के शाश्वत सुख को प्राप्त करता है। __ अरे ! आज तो किसी महापुरुष या देशनेता की समाधि के रूप में पाषाण-पत्थर या ईंट इत्यादिक का सामान्य से बनाया हुआ चौंतरा भी देश-विदेश के यात्रिक वर्ग के लिये श्रद्धा-भक्ति का विषय बनता है । किसी भी देश की संस्कृति या सभ्यता का पता मूर्तियों से लग जाता है । प्राचीन या अर्वाचीन शिल्पकला का अनुपम दृश्य मूत्तियों-मन्दिरों एवं ग्रन्थों आदि के माध्यम से दिखाई देता है। ___ यदि मूत्तियों आदि में शिल्पकला की कुछ भी विशिष्टता तथाप्रकार की न होती, तो औरंगजेब और महमूद गजनवी आदि द्वेष भाव से उनका विनाश क्यों करते । हिन्दुओं के शास्त्र-ग्रन्थों को भी अग्नि में नहीं जलाते । कोई व्यक्ति मूत्ति-मन्दिर आदि का अपमान-तिरस्कार एवं विनाशादि तभी करता है जब उसमें उसे किसी प्रकार के ऐसे व्यक्ति के दर्शन हों, जिसके प्रति उसके हृदय में अंश मात्र भी श्रद्धा, आदर एवं बहुमानादि न हों । आज भी मूत्ति-मन्दिर को नहीं मानने वाले ऐसे .. मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-४७
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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