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महावीरस्वामी का चित्र, श्री गौतमस्वामी श्रादि का चित्र |
(२) चक्रवर्ती श्री भरत महाराजा आदि का चित्र, संवत् प्रवर्तक श्री विक्रमादित्य का, महाराणा प्रताप का तथा महाराजा कुमारपाल आदि का चित्र |
प्रायः यह देखा जाता है कि शत्रु के चित्र को देखकर आत्मा में क्रोध आ जाता है और मित्र के चित्र को देखकर प्रेम का प्रादुर्भाव होता है । धार्मिक चित्र देखने से धर्मभावना बढ़ती है और अधार्मिक श्रृङ्गारिक स्त्रियों के चित्र देखने से कामुकता जागृत होती है । वीर सैनिकों एवं शूरवीर योद्धाओं के चित्र देखने से देशभक्ति के साथ शूरवीरता की छाप पड़ती है और निर्बल एवं कायर व्यक्तियों के चित्र देखने से निर्बलता और काय - रता आ जाती है ।
जब चित्रों का भी ऐसा प्रभाव पड़ता है, तो मूर्तियों का क्यों नहीं पड़ेगा ?
विश्व में निर्विकारी वीतरागदेव की मूर्तियों का प्रभाव सबसे न्यारा, अनेरा और अनूठा है। उनके दर्शन-वन्दनअर्चन तथा उपासनादिक से आत्मा का उद्धार हो जाता
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - ४६