________________
भी उपासक के लिए उपास्य के समान ही सम्माननीय, वन्दनीय एवं पूजनीय हो जाती है ।
उपासक जिस प्रकार प्रत्यक्ष परमाराध्य की उपासना से कार्य-सिद्धि प्राप्त करता है, उसी प्रकार मूत्ति-प्रतिमा की उपासना से भी उसकी कार्यसिद्धि होती है। यदि मूल वस्तु वन्दनीय एवं पूजनीय होती है तो उसका नाम भी वन्दनीय एवं पूजनीय हो जाता है। ऐसी स्थिति में उसका आकार इत्यादि भी वन्दनीय एवं पूजनीय बन जाये तो इसमें आश्चर्य क्या ?
(१६) मूत्तियों का प्रभाव दर्शकों पर चित्रों का प्रभाव पड़ता है क्योंकि चित्रों में एक विशिष्ट प्रकार का अनूठा आकर्षण होता है । वे अपना प्रभाव देखने वाले जीवों पर डालते हैं । चित्र देखने पर उसमें चित्रित भावों का प्रभाव मनुष्यों पर प्रायः पड़ता ही है। अच्छा चित्र होगा तो मानव पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और खराब चित्र होगा तो खराब प्रभाव पड़ेगा। देव-गुरुओं के तथा महापुरुषों आदि के चित्र देखकर उनके प्रति हार्दिक पादर बहुमान होता ही है। जैसे-(१) श्री ऋषभदेव भगवान का चित्र, श्री
मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-४५