________________
आपको मूर्तिपूजा का विरोधी कहते हुए भी गुरुग्रन्थ साहब की पूजा करते हैं तथा पुष्प एवं अगरबत्ती भी लगाते हैं । यह भी मूर्तिपूजा का ही एक प्रकार है ।
(६) कबीर, नानक और रामचरण इत्यादि मूर्तिविरोधियों के अनुयायी भी आज अपने - अपने पूज्य पुरुषों की समाधियाँ बनाकर उनकी पूजा करते हैं । बनी हुई समाधियों के दर्शनार्थ भक्तिभाव से भक्त लोग दूर-दूर से आते हैं, दर्शन करते हैं तथा पुष्प प्रमुख पूजनीय पदार्थों से उन पर श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं और अपने आप को कृतकृत्य मानते हैं ।
(७) स्थानकवासी वर्ग भी अपने पूज्य पुरुषों की समाधि, चरण पादुका, मूर्ति तथा चित्र - फोटो इत्यादि बनाकर उनकी उपासना करते हैं। अपने-अपने भक्तों को भी दर्शनार्थ चित्र - फोटो देते हैं । वे भक्त उन चित्र - फोटो के दर्शनादि करके अपने आपको कृतकृत्य मानते हैं ।
1
( ८ ) व्यापार करने वाले ऐसे व्यापारी लोग भी प्रातःकाल दुकान खोलते समय दुकान के प्रोटले को और आसन को अपने हाथ से दो-तीन बार नमन करते हैं तथा दुकान बन्द करके घर तरफ जाते समय भी ऐसा ही करते हैं ।
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - ३८